जब तक 108 एम्बुलैंस पहुंची, तब तक महिला की जान जा चुकी थी और परिजनों ने जब वृद्ध महिला के शव को 108 एम्बुलैंस के माध्यम से घर ले जाने का आग्रह किया तो एम्बुलैंस में कार्यरत कर्मचारियों ने इस कार्य को अपने दायरे से बाहर बताकर एम्बुलैंस को खाली वापस ले जाना ही बेहतर समझा। वृद्ध महिला के परिवार ने निजी गाड़ी से शव को घर तक पहुंचाया। सूत्रों के हवाले से जानकरी मिली है कि अस्पताल रत्ती में 2 एम्बुलैंस चालक हैं, जोकि दोनों ही बीमारी के चलते चिकित्सीय अवकाश पर हैं। इससे अस्पताल की एम्बुलैंस शोपीस बनकर अस्पताल में खड़ी है।
अस्पताल में सप्ताह भर से किसी भी मरीज को चालकों के छुट्टी पर होने के कारण एम्बुलैंस सुविधा से महरूम रहना पड़ रहा है। वहीं जो 108 एम्बुलैंस रत्ती अस्पताल के लिए दी गई है, उसे भी किसी और चिकित्सालय में भेज दिया गया है। नतीजतन मरीजों को समय पर स्वास्थ्य सेवाएं न मिलने से उनको अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है। अस्पताल प्रबंधन की गैर-जिम्मेदारी ऐसे मामलों में साफ झलक रही है, जिसके चलते लोगों में खासा रोष है।
अस्पताल में तैनात दोनों चालक पिछले सप्ताह भर से चिकित्सीय अवकाश पर हैं। इस बारे उच्चाधिकारियों को अवगत कर चालक की तैनाती की मांग रखी है। मरीज को 108 एम्बुलैंस सुविधा प्रदान की जा रही थी लेकिन जब तक एम्बुलैंस पहुंची, वृद्धा की मौत हो गई थी।
डा. अविनाश पनवर, कार्यकारी खंड चिकित्साधिकारी रत्ती