समझें और फॉलो करें ‘कोरोना वायरस’ के लॉजिक को

पानीपत
कोरोना वायरस
कोरोना वारयस (नोवेल कोविड-19) पर लगाम लगाने को ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ फिलहाल कारगर हथियार है। ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ की दिशा में ही लॉक डाउन पहला कदम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 मार्च को होने वाले इस लॉकडाउन को ‘जनता कर्फ्यू’ का नाम दिया है।

इस कवायद का एक ही मकसद है कि विदेशों से आने वाले कोरोना वायरस के फर्स्ट कैरियर को अन्य लोगों के संपर्क में आने से रोकता जा सके। पानीपत में कोरोना का एक पॉजिटिव केस आने के बाद जनता की ओर से अपने स्तर पर ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ बेहद जरूरी हो गई। यानि घर से बाहर निकलने और लोगों से मिलना जुलना बंद करना है।

आइए ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ और ‘जनता कर्फ्यू’ के लॉजिक को समझें
आइए लोगों को वर्ग-1, वर्ग-2, वर्ग-3 और वर्ग-4 में बांट देते हैं। वर्ग-1 वे लोग है, जो विदेशों में थे और कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए और विदेश से इसी संक्रमित स्थिति में अपने घर लौटे। घर लौटने पर यह फर्स्ट कैरियर अपने परिवार, रिश्तेदार, दोस्त या जान पहचान के लोगों से मिला। ये परिवार, रिश्तेदार, दोस्त या जान पहचान के लोगों को वर्ग-3 में रखते हैं।

वर्ग-1 और वर्ग-3 की पहचान आसानी से हो जाएगी, क्योंकि सरकार को पता है कि कौन विदेश से आया है और उनसे पूछताछ के बाद वर्ग-3 को भी खोज लिया जाएगा। इन्हें क्वॉरेंटीन कर दिया जाएगा। इन दो वर्ग की पहचान में कोई मुश्किल नहीं है, लेकिन वर्ग-1 के फर्स्ट कैरियर एयरपोर्ट से उतरने से लेकर अपने घर पहुंचने तक भी कुछ लोगों के संपर्क में आए होंगे।

इन लोगों को वर्ग-2 में रख लेते हैं। वर्ग-1 के फर्स्ट कैरियर और वर्ग-2 के लोगों का एक-दूसरे से कोई लेनादेना नहीं है। एक दूसरे को पहचानते तक नहीं। अब वर्ग-2 कोरोना वायरस का नया कैरियर बन चुका है। वहीं, एक वर्ग-4 है, जो अपने घर था और स्वास्थ्य है, लेकिन जब वर्ग-4 अपने घर से निकला और वर्ग-2 के संपर्क में आया तो वह भी कोरोना वायरस के संपर्क में आ गया।

अब अगर सरकार लॉक डाउन करती है तो वर्ग-2 के लोग वर्ग-1 के संपर्क में ही नहीं आएंगे। जिसकी वजह से वर्ग-4 को भी कोरोना वायरस नहीं होगा। कोरोना से लोगों के संक्रमित होने की चेन टूट जाएगी। वहीं, वर्ग-1 और वर्ग-3 की पहचान में कोई मुश्किल नहीं है। ऐसे में, ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ और ‘जनता कर्फ्यू’ बेहद जरूरी हो गया है।

डॉक्टरों की अपील, छिपाएं नहीं लक्षण

विदेशों से लौटने वाले कई लोग लक्षण को छिपा रहे हैं, ऐसा ही मॉडल टाउन निवासी 21 वर्षीय कोरोना पॉजिटिव युवक के केस में भी हुआ है। जब तबियत ज्यादा खराब हुई तो सिविल अस्पताल में संपर्क किया गया है, जबकि पहले ही संपर्क करने पर इस स्थिति से काबू पाया जा सकता था।

इस दौरान कोरोना पॉजिटिव मरीज शहर में लोगों से भी मिला, अब उसकी वजह से कितने लोग संक्रमित हुए हैं, इसका कोई अंदाजा नहीं है। यानि वर्ग-2 और वर्ग-4 के संक्रमित लोगों की जानकारी ही नहीं है। ऐसे में, डॉक्टरों ने अपील की है कि विदेश से लौटने वाले खुद को छिपाएं नहीं, सामने आएं और क्वॉरेंटीन होने की प्रक्रिया को अपनाएं।

डॉक्टर बोले, कोरोना को रोकने के सभी प्रयास जरूरी
इस वक्त कोरोना के रोकने के सभी प्रयास बेहद जरूरी हैं। जनता कर्फ्यू के लिए कोरोना के फैलने की चेन को तोड़ने का प्रयास है, लेकिन यह सिर्फ एक दिन ही नहीं बल्कि लोगों को अपने स्तर पर भी सोशल डिस्टेंसिंग रखने की जरूरत है। – डॉ. गौरव श्रीवास्तव

चेन तोड़ना बेहद जरूरी है, क्योंकि वायरस को फैलने से रोकने का इस वक्त यही एक कदम है। इसके साथ ही समय की आवश्यकता है। कोरोना की दवा तैयार होने तक वायरस को फैलने से रोका ही उपाय है। – डॉ. भावुक मित्तल

हाईग्रेड फीवर और सूखी खांसी को नजर अंदाज न करें
डॉ. गौरव श्रीवास्तव ने बताया कि हाईग्रेड फीवर (102 डिग्री) से अधिक और सूखी खांसी को नजर अंदाज नहीं करें। इसके साथ ही शरीर में दर्द भी रह सकता है। इसके अलावा बुखार है, रनिंग नोज है, बलगम है तो यह कोरोना के लक्षण नहीं हैं। इसके साथ ही टीबी, डायबिटिज, हाईपरटेंशन या बीमार और बुुजुर्गों को अधिक ख्याल रखने की जरूरत है, क्योंकि इनकी रोध प्रतिरोधक क्षमता कम होती है।

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