सदन में लगाए घोटाले के आरोप, निष्पक्षता से जांच होगी : मंत्री अनिल विज

चंडीगढ़
हरियाणा विधानसभा
  • सदन में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के दौरान विपक्ष ने उठाया से मामला, लगाए घोटाले के आरोप।
  • विज ने जवाब देते हुए साफ कहा- निष्पक्षता से जांच होगी जो कसूरवार होगा बख्शेंगे नहीं।
हरियाणा विधानसभा में अमरुत योजना में घपलेबाजी के आरोप लगाते हुए विपक्ष ने पूर्व निकाय मंत्री को निशाने पर लिया। उन्होंने इस योजना में कई गड़बड़ियों के आरोप लगाते हुए सरकार से इस पर जवाब मांगा और इस घोटाले की विजिलेंस व सीबीआई जांच की मांग की। उधर, आजाद विधायक बलराज कुंडू ने भी सदन में बताया कि वे भी स्थानीय निकाय से जुड़े घोटालों का एक पुलिंदा निकाय मंत्री अनिल विज को सौंप चुके हैं और आस रखते हैं कि विज इस मामले की निष्पक्षता से जांच करवाएंगे।

शहरी स्थानीय एवं निकाय मंत्री अनिल विज ने कहा कि वे सभी आरोपों की जांच करवाएंगे। विधायक कुंडू के आरोपों की जांच के लिए तो उन्होंने बाकायदा एसआईटी भी गठित कर रखी है। जो भी दोषी होगा, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी और इसकी जानकारी भी वे सार्वजनिक करेंगे।

सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण में भी गड़बड़ी के आरोप
सदन में कांग्रेसी विधायक भारत भूषण बत्रा, गीता भुक्कल, आफताब अहमद, सुरेंद्र पंवार व राव दान सिंह ने कहा कि अमरुत योजना के तहत 2565 करोड़ रुपये हरियाणा को मिले। इसके अंतर्गत पेयजल, मलजल सुविधा, नाली व नालों का निर्माण इत्यादि कार्य करवाए जाने थे। ये योजना जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग के जरिए क्रियान्वित होनी थी। मगर पूर्व मंत्री ने अपने प्रभाव से इस योजना को शहरी स्थानीय निकाय मंत्रालय के मार्फत लागू करवाया। विधायकों ने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रोजेक्ट के टेंडर से लेकर डीआई पाइप खरीदने तक गड़बड़ियां हुई है। डीआई पाइप की खरीद भी 30 से 45 प्रतिशत अधिक रेट पर खरीदा गया। विधायकों ने कहा कि जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग व हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा जो सीवर लाइन बिछाने के लिए जो टेंडर लगते हैं, उनके रेट शहरी स्थानीय निकाय विभाग द्वारा इन्हीं कामों के लगाए गए टेंडर रेट से 20 से 30 प्रतिशत कम होते थे।

हैरत की बात यह कि एक ही टेक्नोलॉजी और एक जैसी मशीनरी से होने वाले एक जैसे काम की लागत अलग-अलग रही। कांग्रेसी विधायकों ने कहा कि इसी योजना के तहत हिसार में जो 40 एमएलडी क्षमता वाले सीवरेज ट्रीटमेंट बनाया गया, उसे जन स्वास्थ्य विभाग के मार्फत 29.74 करोड़ में तैयार किया गया था।

मगर करनाल में शहरी स्थानीय निकाय विभाग द्वारा इसी योजना के तहत जो 50 एमएलडी क्षमता वाले सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट तैयार किया गया है, उसकी कीमत 74.25 करोड़ है। दोनों कार्यों में 30 से 150 प्रतिशत का अंतर है। जबकि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता में सिर्फ10 एमएलडी का अंतर है। कांग्रेसी विधायकों ने इस मामले की जांच स्टेट विजिलेंस व सीबीआई से करवाने की मांग की है।

दूध का दूध, पानी का पानी होगा: विज
इस मामले में अपना जवाब रखते हुए शहरी स्थानीय निकाय मंत्री अनिल विज ने कहा कि इस योजना को शहरी स्थानीय निकाय विभाग द्वारा ही लागू करवाया जाना था। 22 जून 2017 को जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभगा और शहरी स्थानीय निकाय विभाग की अंतर मंत्री स्तर पर हुई बैठक में ये निर्णय लिया गया था कि अमरुत परियोजना का कार्यान्वयन भारत सरकार के दिशा निर्देशानुसार शहरी स्थानीय निकाय विभाग द्वारा ही किया जाएगा।

ये काम जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग द्वारा नहीं करवाए जाने थे। विज ने कहा कि अमरुत योजना के तहत जो भी कार्य किए गए हैं, उसके लिए सभी जरूरी नियम व औपचारिकताएं पूरी की गई है। केंद्र सरकार इसके लिए देशभर में रैंकिंग भी करती है। वर्ष 2017 में इस रैकिंग में हरियाणा 29वें स्थान पर, नवंबर 2019 में 12वें रैंक और वर्तमान में 16वें स्थान पर है।

विज ने कहा कि विधायकों द्वारा जो भी आरोप लगाए गए हैं, वे इस मामले में पूरी जांच करवाएंगे और दूध का दूध पानी का पानी करेंगे। विज ने कहा कि वह सदन को आश्वस्त करते हैं कि इसमें यदि कोई गड़बड़ी पाई गई, तो इसके लिए जो भी दोषी होगा, वे उसे बख्शेंगे नहीं।

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