सड़क के साथ सोशल मीडिया पर भी किसान आंदोलन तेज

सड़क के साथ सोशल मीडिया पर भी किसान आंदोलन तेज

चंडीगढ़
कृषि कानूनों को रद्द करने की जिद पर अड़े किसानों का आंदोलन सड़क के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी तेज हो रहा है। सोशल मीडिया के विभिन्न मंचों पर किसानों के आंदोलन का तेजी से प्रचार किया जा रहा है। इस काम के लिए किसान संगठनों की विभिन्न टीमें विशेष तौर पर यही काम कर रही हैं।

नतीजतन देश ही नहीं विदेश से भी सोशल मीडिया के जरिए काफी एनआईआर किसान आंदोलन को खुलकर समर्थन दे रहे हैं। ये टीमें दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर डटी किसान टोलियों की तमाम गतिविधियों, वहां मौजूद किसान नेताओं के भाषणों व भीड़ इत्यादि की फोटो व वीडियो को लगातार सोशल मीडिया पर अपलोड कर रही हैं।
राष्ट्रीय किसान महासंघ के प्रवक्ता अभिमन्यु कोहाड़ बताते हैं कि सोशल मीडिया से किसान आंदोलन को मजबूती मिल रही है। इसी वजह से विभिन्न संगठनों का समर्थन भी मिल रहा है और यह अब जन आंदोलन बनता जा रहा है। सोशल मीडिया के जरिए ही विदेश में भी काफी संख्या में एनआरआई इस आंदोलन से जुड़ चुके हैं।

उधर, सरकार ने भी किसान आंदोलन के बढ़ते सोशल मीडिया ट्रेंड को देखते हुए इसी प्लेटफार्म पर मोर्चा संभाल लिया है। सोशल मीडिया पर सक्रिय हुई केंद्र व राज्य सरकार भी किसानों व आमजन को कृषि कानून के फायदे बताने के लिए अलग-अलग तरीके अपना रही है।

लिया जा रहा ‘क्विज’ का सहारा
किसानों के लिए सरकारी योजनाओं और सुविधाओं को लेकर हरियाणा सरकार ने ट्विटर पर एक ‘क्विज’ शुरू किया है। ‘नॉ यूर हरियाणा’ हैश टैग के साथ यह क्विज चल रहा है। इसमें लोगों से किसानों से जुड़ी योजनाओं और सुविधाओं पर आधारित सवाल पूछे जा रहे हैं। सही उत्तर के चयन के लिए जवाबों के चार विकल्प भी दिए जा रहे हैं। इसका मकसद यह है कि लोगों को यह मालूम चले कि सरकार किसानों के लिए क्या-क्या कर रही है।

सरकार-किसान इस तरह कर रहे सोशल प्रचार
किसानों की टीमें सोशल मीडिया पर आंदोलनरत भीड़ की नारेबाजी के वीडियो और फोटो अपलोड कर रहे हैं।
किसान नेताओं के ऐसे संबोधन जिसमें कृषि कानूनों से संभावित नुकसान की जानकारी मिले, उसे सबसे ज्यादा अपलोड किया जा रहा है।
किसानों और पुलिस कर्मियों के साथ झड़पें, बहस और दुर्व्यवहार की फोटो व वीडियो अपलोड किए जा रहे हैं।
दिल्ली सीमाओं की ओर बढ़ते किसानों के पैदल व वाहन जत्थों की फोटो सबसे ज्यादा वायरल की जा रही हैं।
किसानों को समर्थन देने वाले संगठन प्रतिनिधियों, नेताओं के वीडियो अपलोड हो रहे हैं।
आंदोलन में शामिल महिलाओं, किशोरों व कई दिनों से दिल्ली सीमा पर डटे किसानों के हालात पर वीडियो क्लीपिंग अपलोड की जा रही हैं।
इसके जवाब में सरकार भी कृषि कानूनों के फायदे बताते हुए वीडियो अपलोड कर रही है।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत अब तक किसानों के खाते में कितनी राशि पहुंच चुकी है। हरियाणा में कितना मुआवजा किसानों को दिया जा चुका है। हरियाणा में कितनी फसलें एमएसपी पर खरीदी गई हैं, इत्यादि कृषि संबंधी योजनाओं का प्रचार सरकार कर रही है।
सोशल मीडिया पर सरकार इस बात पर सबसे ज्यादा जोर दे रही है कि कृषि कानून लागू होने के बाद न मंडियां खत्म होंगी, न एमएसपी।

 

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