शिक्षा विभाग पर हाई कोर्ट ने लगाया 71 हजार का जुर्माना, जानिए पूरी रिपोर्ट

शिक्षा विभाग पर हाई कोर्ट ने लगाया 71 हजार का जुर्माना, जानिए पूरी रिपोर्ट

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अपील दायर करने में देरी के लिए शिक्षा विभाग पर 71 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। अदालत ने विभाग को जुर्माने की राशि हिमाचल आपदा राहत कोष में दो हफ्ते के भीतर जमा करवाने के आदेश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि जुर्माने की राशि जमा करने पर ही अपील को पंजीकृत किया जाएगा। अदालत ने पाया कि एकलपीठ के निर्णय को चुनौती देने के लिए शिक्षा विभाग ने 90 दिनों की देरी की है। इसे माफ करने के लिए विभाग ने आवेदन दायर किया था। एकलपीठ ने शारीरिक शिक्षकों को न्यूनतम योग्यता में छूट देकर नियुक्त करने के आदेश दिए थे।

हालांकि 3 अप्रैल 2023 को खंडपीठ ने एकलपीठ के निर्णय पर फिलहाल रोक लगाई है। बता दें कि 1996 से 1999 तक प्रतिवादियों ने शारीरिक शिक्षा में एक वर्षीय डिप्लोमा किया था। उसके बाद इन्होंने शारीरिक शिक्षक की नियुक्ति के लिए रोजगार कार्यालयों में नाम दर्ज करवाया था। पुराने भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के अनुसार शारीरिक शिक्षक के लिए आवश्यक योग्यता दसवीं और एक साल का डिप्लोमा था। वर्ष 2011 में पुराने नियमों को निरस्त किया गया और राज्य सरकार ने नए नियम बनाए। इसके तहत 50 फीसदी अंकों के साथ जमा दो की आवश्यक योग्यता और दो वर्ष का डिप्लोमा निर्धारित किया गया।

इससे वर्ष 1997-98 में एक वर्षीय डिप्लोमा धारक शारीरिक शिक्षक के रूप में नियुक्ति के लिए अपात्र हो गए। अपात्र अभ्यर्थियों के अनुरोध पर राज्य सरकार ने बैचवाइज भर्ती के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता में एकमुश्त छूट दी। शर्त लगाई गई कि इन सभी को पांच वर्ष की अवधि के भीतर अपनी शैक्षिक योग्यता में सुधार करना होगा। सरकार ने वर्ष 1996 -1998 बैच के एक वर्षीय डिप्लोमा धारकों को नियुक्ति देने की बजाय उनसे कनिष्ठ अभ्यर्थियों को बैचवाइज आधार पर नियुक्त कर दिया। एकलपीठ ने इनके पक्ष में निर्णय देते हुए सरकार को न्यूनतम योग्यता में छूट देने के बाद इन्हें नियुक्ति देने के आदेश दिए थे।

सुप्रीम कोर्ट ने भी राहत कोष में दो लाख रुपये जमा करवाने के दिए थे आदेश
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी जुर्माने की राशि हिमाचल आपदा राहत कोष में जमा करवाने के आदेश दिए थे। इलाहबाद हाईकोर्ट के निर्णय के खिलाफ अपील दायर करने में हुई देरी को सशर्त माफ करते हुए अदालत ने पहले दानों मामलों में एक-एक लाख रुपये हिमाचल मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा करवाने के आदेश दिए थे। अपीलकर्ता ने अपील को दायर करने में देरी माफ करने के लिए आवेदन दायर किया था। अदालत ने पाया था कि अपील को दायर करने में अत्यधिक विलंब हो गया है।

Related posts