शिक्षा विभाग का हाल ‘अग्गा दौ पिच्छा चौड़’

अमृतसर: डायरैक्टर शिक्षा विभाग पंजाब की ओर से तैयार की गई मास्टर कैडर की सीनियरता सूची में गलतियों की भरमार है। अधिकारियों की लापरवाही कारण सूची में जहां एक अध्यापक के 2-2 बार नाम दर्शाए गए हैं वहीं अध्यापक असमंजस की स्थिति में हैं कि उनका सीनियरता में नंबर कितना है। इसके अलावा सूची बनाते समय सिविल सर्विसिस रूल्ज (सी.एस.आर.) की धज्जियां उड़ाते हुए मैरिट को आधार नहीं बनाया गया है।

जानकारी के अनुसार शिक्षा विभाग की ओर से 30 जून तक मास्टर कैडर की सूची तैयार करके पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में पेश करनी थी। सरकार की ओर से उस समय सीनियर को नजरअंदाज करते हुए जूनियर को तरक्की दी गई थी। पंजाब के कई मास्टरों की ओर से सरकार की धक्केशाही के खिलाफ हाईकोर्ट में केस भी दायर किए थे जिस कारण अलग-अलग अध्यापकों के फैसले के अनुसार हाईकोर्ट ने 30 जून तक संशोधित कर सीनियरता सूची पेश करने के आदेश दिए थे।

शिक्षा विभाग की ओर से जल्दबाजी में तैयार की गई सीनियरता सूची की लड़ी नंबर 569 और 570 व गुरचरण सिंह माखी कलां फरीदकोट, 615 और 616 पर धर्मपाल सिंह स.स.स.स. पन्नुआ, 674 और 804 पर अश्विनी अवस्थी स.स.स.स. खलचियां, 780 और 781 पर गुरसेवक सिंह, स.स.स.स. सुखनंदर मोगा, 833 और 834 पर जतिंद्र कुमार सरकारी हाई स्कूल निचली बरोय, 835 और 836 पर गुरदयाल सिंह माड़़ी पन्नुआ, 846 और 847 पर जगदेव सिंह स.स.स.स. गुजरां मगनूर आदि के नाम शामिल हैं।

विभाग की ओर से जारी की गई सूची में 30 हजार मास्टर शामिल किए गए हैं। नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए सूची में सभी विषयों को कॉमन बनाने की बजाय इसे अलग-अलग कर दिया गया है। कोर्ट के डंडे के डर से विभाग की ओर से यह सूची स्पष्ट जाहिर कर रही है कि यह जल्दबाजी में तैयार की गई है। अध्यापकों में सूची को देखकर काफी असमंजस वाली स्थिति बनी हुई है।

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