शहीद के परिवार को 11 साल बाद इंसाफ, सरहद से भी मुश्किल रही लड़ाई

शहीद के परिवार को 11 साल बाद इंसाफ, सरहद से भी मुश्किल रही लड़ाई

चंडीगढ़
सरहद पर सिपाही देश की रक्षा के लिए हर मुश्किल हालात में तैयार रहते हैं और जान तक न्योछावर कर देते हैं। वहीं परिवार के लिए उनकी शहादत को साबित करना और सरकार से हक के लिए लड़ना उससे भी मुश्किल होता है। ऐसे ही एक मामले में शहीद के परिवार को इंसाफ के लिए 11 साल का इंतजार करना पड़ा। अब आखिरकार लंबी कानूनी लड़ाई के बाद उन्हें सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उनका हक मिल गया है।

दिलीप सैकिया 22 अप्रैल 2008 से 11 अगस्त 2010 तक भारत सरकार के ऑपरेशन रक्षक के तहत जम्मू कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर युद्ध आशंकित क्षेत्र में तैनात थे। 11 अगस्त की रात को भारी बारिश के दौरान वे पेट्रोलिंग ड्यूटी पर थे। इस दौरान बारिश के चलते बंकर गिर गया और दिलीप सैकिया शहीद हो गए। इसके बाद सेना ने उनकी फैमली पेंशन आरंभ कर दी, जिसे आर्म फोर्सिस ट्रिब्यूनल में चुनौती दी गई। 

ट्रिब्यूनल ने उनके हक में फैसला सुनाते हुए शहीद पेंशन के लिए हकदार माना था। इसके बाद शहीद के परिजनों ने हरियाणा सरकार की युद्घ क्षेत्र में शहीद होने वालों के लिए बनाई गई 10 लाख की एक्सग्रेशिया ग्रांट के लिए आवेदन किया। हरियाणा सरकार ने इसे यह कहते हुए इनकार कर दिया कि दिलीप की मौत न तो किसी आतंकी हमले में हुई है और न ही किसी ब्लास्ट में। बंकर गिरने से हुई मौत के लिए इस ग्रांट को जारी नहीं किया जा सकता। 

हाईकोर्ट के जस्टिस एमएमएस बेदी ने हरियाणा सरकार की इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि पीड़ित परिवार इस ग्रांट का हकदार है और ऐसे में हरियाणा सरकार 3 माह के भीतर इस ग्रांट को जारी करे। इसके बाद हरियाणा सरकार ने सिंगल बेंच के फैसले को खंडपीठ में चुनौती दी जिसे खंडपीठ ने खारिज कर दिया। खंडपीठ के फैसले के खिलाफ दाखिल की गई अपील को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। 

हरियाणा सरकार की दलील थी कि याची मूल रूप से असम से है और ऐसे में हरियाणा सरकार की इस नीति के तहत एक्स ग्रेशिया की हकदार नहीं है और यदि यह लाभ दिया गया तो हर कोई हरियाणा से इसकी मांग करने लगेगा। पीड़ित पक्ष की ओर से कहा गया कि उनके पास राशन कार्ड, आधार कार्ड, ईएसआई कार्ड से लेकर अन्य दस्तावेज हरियाणा के हैं। सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार की दलीलों से असहमति जताते हुए सरकार की अपील को खारिज कर दिया।

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