मानव तस्करी लगातार बढ़ रही और पुलिस को इस पर अंकुश लगाने की जरूरत है।
यह टिप्पणी विशेष फास्ट ट्रैक अदालत ने वेश्यावृत्ति कराने के मामले में दोषी महिला को दस साल कैद की सजा सुनाते हुए की।
अदालत ने महिला को पीड़िता को बंधक बनाने और वेश्यावृत्ति में धकेलने का दोषी ठहराते हुए यह सजा सुनाई।
तीस हजारी स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने दोषी महिला पदमा को दस साल कैद के अलावा दस हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।
जुर्माने की राशि पीड़िता को मुआवजे के तौर पर दी जाएगी। इसके अलावा कानूनी रूप से उचित मुआवजा देने का निर्देश भी सरकार ने दिया है।
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अदालत ने पदमा सजा सुनाते हुए कहा कि उसका अपराध बेहद गंभीर है और उसके प्रति नरमी नहीं दिखाई जा सकती।
अदालत ने मध्य जिला पुलिस उपायुक्त को आदेश की कॉपी भेजने का निर्देश दिया है। मामले में दोषी पदमा का आग्रह ठुकराते हुए अदालत ने कहा कि वह नरमी की अधिकारी नहीं है।
पीड़िता की परवाह किए बिना उसे जबरन वेश्यावृत्ति में डाला गया। उसे कोठे में कैद रखकर उसके साथ मारपीट की गई और उसकी जो कमाई होती थी वह भी पदमा अपने पास रखती थी।
अदालत ने उपायुक्त से यह निश्चित करने के लिए कहा है कि उनके उनके विभाग के अधिकारी व कर्मचारी मानव तस्करी जैसे जघन्य अपराध करने वाले अपराधियों को पकड़ने के लिए हर संभव कोशिश करें।
अभियोजन के मुताबिक पश्चिमी बंगाल के एक गांव से लाकर दो लड़कों ने जुलाई 2010 में पीड़िता को पदमा के पास जीबी रोड स्थित कोठे पर छोड़ दिया था।
पीड़िता को जबरन वेश्यावृत्ति में धकेला गया और मना करने पर उसे पीटा जाता था। एक ग्राहक को उसने अपने घर वालों का फोन नंबर दिया, जिसके बाद पीड़िता को छुड़ाया गया।