विधेयकों पर कृषि कानूनों के खिलाफ तीन घंटे हुई बहस, यहां पढ़ें- किसने क्या कहा

विधेयकों पर कृषि कानूनों के खिलाफ तीन घंटे हुई बहस, यहां पढ़ें- किसने क्या कहा

चंडीगढ़
पंजाब विधानसभा में मंगलवार को कृषि कानूनों और केंद्र के प्रस्तावित बिजली संशोधन विधेयक को रद्द करने संबंधी प्रस्ताव पर तीन घंटे से भी अधिक समय तक चर्चा हुई। इसमें कांग्रेस के अलावा अकाली दल, आम आदमी पार्टी और लोक इंसाफ पार्टी के सदस्यों ने भाग लिया।

विधानसभा अध्यक्ष राणा केपी सिंह ने प्रस्ताव पर चर्चा शुरू कराते हुए तीन घंटे का समय रखा, जिसमें कांग्रेसी सदस्यों को 2 घंटे 3 मिनट, आम आदमी पार्टी को 29 मिनट, अकाली दल को 22 मिनट, भाजपा और लोक इंसाफ पार्टी को उनकी सदस्य संख्या के अनुसार 3-3 मिनट का समय दिया गया।
चर्चा की शुरुआत करते हुए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह सदन में 24 मिनट बोले। उनके बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने 13 मिनट बोलते हुए केंद्र सरकार के किसान विरोधी फैसलों का जिक्र किया और अपनी सरकार को एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर खरीद को सुनिश्चित बनाने का सुझाव दिया।

कांग्रेस की ओर से चर्चा में हिस्सा लेने वाले अन्य सदस्यों में कुलजीत सिंह नागरा, हरप्रताप सिंह अजनाला, परगट सिंह, सुखविंदर डैनी, राजा वड़िंग, मनप्रीत सिंह बादल, सुखजिंदर सिंह रंधावा शामिल रहे। रंधावा ने कहा कि सरहदी राज्य पंजाब को उतना खतरा पड़ोसी मुल्कों से नहीं, जितना खतरा मोदी सरकार से है। केंद्र सरकार ने कोविड-19 महामारी की आड़ में तीन किसान विरोधी कानून बनाकर किसानों, मजदूरों, आढ़तियों की कमर तोड़ दी है।

मनप्रीत बादल ने कहा कि उन्हें आशंका है कि केंद्र सरकार पीडीएस स्कीम को खत्म करने वाली है। उन्होंने कहा कि एफसीआई (भारतीय खाद्य निगम) पर 6 लाख करोड़ रुपये का कर्ज हो चुका है और केंद्र इस पैसे की अदायगी नहीं कर रहा। मोदी सरकार ने बीते छह साल के दौरान कारपोरेट घरानों को 8 लाख करोड़ रुपये माफ कर दिए हैं लेकिन किसानों के लिए केंद्र के पास पैसा नहीं है।

मुख्य विपक्षी दल आम आदमी पार्टी की ओर से नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा समेत अमन अरोड़ा, प्रिंसिपल बुधराम, कुलतार सिंह संधवा, मीत हेयर, सरबजीत कौर माणुके, जयकिशन रोड़ी ने संशोधन बिलों का समर्थन करते हुए राज्य सरकार से एमएसपी पर किसानों की फसल खरीद को सुनिश्चित बनाने की मांग की।

वहीं, अकाली दल की ओर से परमिंदर सिंह ढींढसा ने विधेयकों का समर्थन करते हुए राज्य सरकार से मांग की कि गेहूं व धान की एमएसपी के अलावा विधेयकों में अन्य फसलों की एमएसपी पर खरीद का प्रावधान किया जाना चाहिए। इनके अलावा अकाली दल के शरणजीत सिंह ढिल्लों, मनजीत सिंह, मनप्रीत सिंह अयाली ने भी चर्चा में हिस्सा लिया। लोक इंसाफ पार्टी की ओर से सिमरजीत सिंह बैंस ने चर्चा में हिस्सा लिया।

आप विधायक संधवां ने एडवोकेट जनरल पर साधा निशाना
आप विधायक कुलतार सिंह संधवां ने सदन में संशोधन विधेयकों पर पंजाब के एडवोकेट जनरल (एजी) अतुल नंदा को निशाने पर लिया। संधवां ने कहा कि आज पंजाब के हितों के लिए सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ने की बात हो रही है। उन्होंने कहा, ‘मुझे एडवोकेट जनरल की काबलियत पर कोई संदेह नहीं लेकिन पंजाब के हक में इन्होंने कोई केस नहीं जीता, इसलिए इनकी जगह पर कोई और व्यक्ति लगाया जाए।’ संधवां ने कहा कि गेहूं-धान की फसल की फसली चक्र से निकलने के लिए पंजाब सरकार एमएसपी पर दलहन और तिलहन की खरीद को सुनिश्चित करें।

कांग्रेसी सदस्यों ने इतिहास का भी किया जिक्र
चर्चा के दौरान कांग्रेस की ओर से हिस्सा लेते हुए मनप्रीत बादल ने 1937 में लाहौर असेंबली का हवाला देते हुए अपनी बात की शुरुआत की जबकि कुलजीत नागरा ने 1964 में केंद्र और पंजाब के हालात का उल्लेख करते हुए अपनी बात रखी। हरप्रताप सिंह अजनाला इतिहास में कुछ और पीछे महमूद गजनवी और औरंगजेब तक पहुंचे और उन्होंने अपनी बात तत्कालीन इतिहास का जिक्र करते हुए रखी।

 

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