विधानसभा में कृषि अध्यादेश खारिज, संसद के दोनों सदनों को भेजा जाएगा यह प्रस्ताव

विधानसभा में कृषि अध्यादेश खारिज, संसद के दोनों सदनों को भेजा जाएगा यह प्रस्ताव

चंडीगढ़
पंजाब विधानसभा ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की तरफ से पेश एक प्रस्ताव पास करते हुए केंद्र सरकार द्वारा जारी तीन कृषि अध्यादेशों और संभावित बिजली संशोधन बिल खारिज कर दिए। यह प्रस्ताव विधानसभा की तरफ से बहुमत से पास किया गया। भाजपा को छोड़ सभी मौजूद सदस्यों ने इस पर सहमति जताई।

प्रस्ताव पेश करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब विधानसभा केंद्र के तीनों अध्यादेशों के कारण किसानों को होने वाली परेशानियों को लेकर चिंतित है। केद्र ने किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (तरक्की और सुविधा) अध्यादेश 2020, किसान (सशक्तीकरण और सुरक्षा) समझौते पर मूल्य का बीमा और फार्म सेवाएं अध्यादेश 2020 और जरूरी वस्तुएं (संशोधन) अध्यादेश जारी किए गए हैं।
इसके अलावा बिजली (संशोधन) बिल 2020 प्रस्तावित है। ये सभी न सिर्फ किसानों, भूमिहीन मजदूरों के हितों बल्कि राज्य में स्थापित की गई कृषि विपणन प्रणाली और भारत के संविधान के भी विरुद्ध हैं। संविधान की दूसरी सूची में दर्ज 14 नंबर की एंट्री में कृषि को राज्यों का विषय बनाया गया है, इसलिए ये अध्यादेश राज्यों के कामों और संविधान में दर्ज सहकारी संघवाद की भावना के विरुद्ध हैं। इसलिए यह सदन केंद्र से अपील करता है कि इन्हें तुरंत वापस लिया जाए। इसके बजाय नया अध्यादेश जारी किया जाए जोकि किसानों के कानूनी अधिकार की रक्षा करता हो।

भाजपा का विरोध- बाकी पूरा सदन प्रस्ताव के साथ
शिरोमणि अकाली दल के विधायक सदन से गैरहाजिर रहे। वहीं, कैबिनेट मंत्री चरनजीत सिंह चन्नी, कांग्रेस के विधायक कुलजीत सिंह नागरा और गुरकीरत सिंह कोटली, आप के विधायक कंवर संधू और कुलतार सिंह संधवां और लोक इंसाफ पार्टी के विधायक सिमरनजीत सिंह बैंस ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया।

कुछ सदस्यों ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि इन अध्यादेशों के साथ लंबे समय से चली आ रही आढ़तिया और तोल की व्यवस्था खत्म हो जाएगी। भाजपा के विधायक दिनेश सिंह ने अध्यादेश के हक में बोलते हुए कहा कि कहीं भी इन अध्यादेश में नहीं लिखा गया है कि एमएसपी प्रणाली खत्म कर दी जाएगी।

तो पंजाब 1980 के काले दौर की तरफ फिर धकेल दिया जाएगा: कैप्टन
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने विधानसभा में कहा कि केंद्र के कृषि अध्यादेशों और संभावित बिजली संशोधन बिल के लागू होने से पंजाब 1980 के काले दौर की तरफ फिर धकेल दिया जाएगा, क्योंकि यह एक सरहदी सूबा है। यहां पाकिस्तान देश में अशांति पैदा करने के लिए हमेशा ही माहौल खराब करने की ताक में रहता है।

समर्थन मूल्य को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के लिए लाजिमी करार देते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि इन अध्यादेशों से पंजाब की किसानी आर्थिक तौर पर तबाह हो जाएगी। खासकर 70 प्रतिशत वे किसान जिनके पास पांच एकड़ से कम जमीन है। उन्होंने मक्के का उदाहरण देते हुए कहा कि एमएसपी लागू होने के बावजूद यह बहुत कम कीमत प्रति क्विंटल 600 रुपये के हिसाब के साथ बिकी है।

उन्होंने कहा कि यह दूसरी बार है जब पंजाब के कीमती स्रोतो को नुकसान पहुंचाने की कोशिश हुई है। पहली बार साल 2004 में ऐसी कोशिश हुई थी लेकिन उस समय उन्होंने विधानसभा ने नहरी पानी के बंटवारे वाले करारनामे को रद्द कर राज्य और इसकी कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था को बड़े संकट से बचा लिया था।

संसद के दोनों सदनों को भेजा जाएगा यह प्रस्ताव
उन्होंने यह भी कहा कि यह प्रस्ताव पंजाब का रोष प्रकट करने के लिए संसद के दोनों सदनों को भेजा जाएगा। इन अध्यादेशों का मूल आधार शांता कुमार कमेटी की सिफारिशें हैं जिनके नतीजे राष्ट्रीय स्तर पर भी बुरे निकल सकते हैं क्योंकि निष्कर्ष के तौर पर एफसीआई का अस्तित्व मिट जाएगा। इसके साथ ही पंजाब मंडी बोर्ड भी अपना अस्तित्व बचा नहीं सकेगा जो ग्रामीण क्षेत्रों और लिंक सड़कों के विकास का काम करता है।

शिअद जानबूझकर अनुपस्थित रही
शिरोमणि अकाली दल की तरफ से विधानसभा में न आने के संबंध में मुख्यमंत्री ने कहा कि श्री आनंदपुर साहिब प्रस्ताव को लाने वाली पार्टी ऐसे जरूरी मौके पर जानबूझकर विधानसभा में अनुपस्थित रही है। शिअद के प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने दावा किया था कि ये अध्यादेश पंजाब के कृषि क्षेत्र को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। उनके इस दावे पर कौन यकीन करेगा।

प्रवेश से पहले नहीं हुआ कोरोना टेस्ट
विधानसभा में प्रवेश से पहले विधायकों के कोरोना टेस्ट कराने की व्यवस्था की गई लेकिन ऐसा किया नहीं गया। सदस्यों को अपनी 72 और 48 घंटे पुरानी निगेटिव रिपोर्ट के आधार पर ही सदन में प्रवेश मिला। गुरुवार को राज्य की मुख्य सचिव विनी महाजन ने सभी सियासी दलों से अपील की थी कि जो सत्र में भाग लेने के इच्छुक हैं, वे शुक्रवार को समय से पहले विधानसभा पहुंचकर अपने दोबारा टेस्ट कराएं।

 

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