लकड़ी के खंभों पर टिके मृकुला देवी मंदिर के अस्तित्व को खतरा

लकड़ी के खंभों पर टिके मृकुला देवी मंदिर के अस्तित्व को खतरा

लाहौल के उदयपुर में प्राचीन मृकुला देवी मंदिर का अस्तित्व खतरे में है। मंदिर एक दर्जन से अधिक लकड़ी के खंभों के सहारे टिका हुआ है। अधिक बर्फबारी और भूकंप के झटकों से मंदिर को नुकसान हो सकता है। यदि समय रहते मरम्मत नहीं की तो मंदिर के भीतर लकड़ी पर उकेरी गई रामायण की नक्काशी और कलाकृतियां भी खराब हो सकती हैं। 

समर सीजन शुरू होते ही अटल टनल रोहतांग के रास्ते देश के कोने-कोने से सैलानी भी मृकुला देवी मंदिर उदयपुर पहुंचे और आने वाले समय में भी आएंगे। मंदिर में मृत्यु शैय्या पर लेटे भीष्म पितामह, समुद्र मंथन, सीता हरण, अशोक वाटिका, गंगा-जमुना, नौ ग्रह, भगवान विष्णु के अवतार, भगवान शिव का नेत्र खुलने, भगवान कृष्ण-अर्जुन, द्रोपदी स्वयंवर, अभिमन्यु के चक्रव्यूह सहित कई देवी-देवताओं की कलाकृतियां आकर्षण का केंद्र हैं।

माता के पुजारी दुर्गा दास ने कहा कि मृकुला देवी मंदिर का इतिहास पांडवों के वनवास काल से जुड़ा है। मंदिर अपनी अद्भुत शैली और लकड़ी पर की गई नक्काशी के लिए जाना जाता है। मंदिर की दशा सुधारने को लेकर कई बार पुरातत्व विभाग के ध्यान में मामला लाया गया है। उन्होंने कहा कि मृकुला देवी मंदिर को सरकार अपने अधीन ले तो ही इसकी दशा सुधर सकती है। (संवाद)

मामला कोर्ट पहुंचाया, फिर भी नहीं हुई मरम्मत
मंदिर की दयनीय हालत और इसके पुन: निर्माण किए जाने का मुद्दा पुजारी ने उच्च न्यायालय तक पहुंचाया है।  बावजूद मंदिर की मरम्मत नहीं की गई है।

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