राजद्रोह कानून का दुरुपयोग हिम्मत दिखाने वालों के खिलाफ हो रहा है : पूर्व जज जस्टिस लोकुर

राजद्रोह कानून का दुरुपयोग हिम्मत दिखाने वालों के खिलाफ हो रहा है : पूर्व जज जस्टिस लोकुर

नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मदन बी लोकुर ने कहा है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के लिए राजद्रोह कानून का हथियार के रूप में दुरुपयोग किया जा रहा है। जो व्यक्ति बोलने की हिम्मत दिखाता है उस पर राजद्रोह के आरोप लगाकर उसकी स्वतंत्रता प्रभावित की जाती है।

जस्टिस लोकुर ने कहा, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बाधित करने के लिए कानून के उपयोग और दुरुपयोग का घातक कॉकटेल बनाया जा रहा है। कानून की व्याख्या सदैव वस्तुनिष्ठ तरीके से की जाती है लेकिन लंबे समय से, व्यक्तिपरक संतुष्टि खत्म हो गई है और इसके परिणाम अप्रभावी हो गए हैं।
वह बीजी वर्गीज स्मृति व्याख्यान में ‘हमारे मौलिक अधिकारों के रक्षण एवं संरक्षण: अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रदर्शन के अधिकार’ विषय पर बोल रहे थे।

उन्होंने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने 1962 में स्पष्ट रूप से देशद्रोह कानून हटा दिया था, फिर भी अधिकारियों ने इसको हथियार बनाने के तरीके खोज निकाले। जस्टिस लोकुर राजद्रोह कानून, निषेधाज्ञा के कथित दुरुपयोग और इंटरनेट पर पूरी पाबंदी के आलोचक रहे हैं।

वह शीर्ष कोर्ट के उन चार वरिष्ठ जजों में शामिल थे जिन्होंने 12 जनवरी, 2018 को तत्कालीन सीजेआई दीपक मिश्र के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी।

 

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