मार्च के बाद बदल सकती है यूपी में शराब की ‘सरकार

चड्ढा ग्रुप के हितों पर दूसरे डाका डाल सकते हैं, यह खतरा तो शासन भी महसूस कर रहा है। पोंटी चड्ढा के साम्राज्य की सबसे अहम कड़ी शराब सप्लाई पर अब कईयों की निगाहें टिक गई हैं। उनकी जो कभी यूपी में सप्लाई का सपना देखते थे और उनकी भी जो इस कारोबार में हाथ आजमा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो इस कारोबार में कई राष्ट्रीय स्तर की कंपनियां भी उतरने की ताक में हैं। हालांकि चड्ढा फैमिली ने स्पष्ट किया है कि वह इस कारोबार में कमजोर नहीं हुए हैं और हर तरह से सक्षम हैं।

पोंटी चड्ढा का शराब सप्लाई कारोबार पर एकाधिकारी यूं ही नहीं था। सरकारें बदलीं, अड़चनें आईं लेकिन उनका ‘तिकड़म’ और रसूख ही था कि हर बार सप्लाई का जिम्मा उनके हाथों में ही जाता जबकि कई राइवल कंपनियों ने यूपी में हाथ आजमाने की कोशिश की। उनकी मौत के बाद पहले ही दिन से सबसे बड़ा सवाल शराब सप्लाई को लेकर ही उठ रहा है। क्या पोंटी के उत्तराधिकारी एकाधिकार कायम रख पाएंगे? यह सवाल हर आंख में हैं। इसकी वजह यह है कि आबकारी नीति बनवाने में सियासी ताकत का इस्तेमाल हमेशा से होता है।

पोंटी की मौत के बाद यह माना जा रहा है कि चड्ढा ग्रूप सियासी रूप से कमजोर हुआ है। जाहिर है कि अब सत्ता के नजदीकी कारोबारियों को अहमियत दी जा सकती है। इस खतरे की सुगबुगाहट चड्ढा फैमिली में भी महसूस की जा रही है। सूत्रों के अनुसार यही वजह है कि चड्ढा परिवार की ओर से शासन को भेजा गया है जिसमें जिक्र है कि शराब कारोबार पर कोई संकट नहीं आने वाला। परिवार इसे संभालने में सक्षम है। दूसरों की गड़ी नजरों को देखते हुए चड्ढा फैमिली ने भी अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं।

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