मानव तस्करी का शिकार युवक कैसे धकेला गया युद्ध में? सीबीआई ने दर्ज किया पारिवारिक सदस्यों के बयान

मानव तस्करी का शिकार युवक कैसे धकेला गया युद्ध में? सीबीआई ने दर्ज किया पारिवारिक सदस्यों के बयान

मानव तस्करी करने वाले गिरोह का हुआ पर्दाफाश रूस में बैठे एजेंट सहित इसके कई सूत्रधारों की पहचान की गई है। 

jammu kashmir : CBI records statement of family of man tricked into Russia Ukraine war
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने कश्मीरी व्यक्ति आजाद यूसुफ कुमार के परिवार के सदस्यों के बयान दर्ज किए हैं। परिजनों का आरोप है कि यूसुफ को अनजाने में रूस-यूक्रेन संघर्ष में धकेल दिया गया।

यूसुफ के बड़े भाई सज्जाद अहमद कुमार ने बताया कि सीबीआई ने उनसे उनके भाई की स्थिति के बारे में पूछताछ की और अपने नई दिल्ली कार्यालय में उनकी उपस्थिति चाही। हालांकि, वह वर्तमान वित्तीय परिस्थितियों के कारण अनुपालन करने में असमर्थ हैं।

सज्जाद ने कहा कि 12 अन्य प्रभावित भारतीय पुरुषों के परिवारों से सीबीआई ने संपर्क किया है और उन्होंने अपने प्रियजनों की सुरक्षित वापसी की अपील की है।

सीबीआई ने 8 मार्च को भारतीय व्यक्तियों को युद्ध क्षेत्र में फंसाने वाले मानव तस्करी नेटवर्क का भंडाफोड़ किया था। इसमें रूस में स्थित एजेंटों सहित प्रमुख सूत्रधारों की पहचान की गई है।

इन एजेंटों ने भारतीय युवाओं को रूस में नौकरी की शानदार पेशकश का प्रलोभन दिया, ताकि बाद में उन्हें रूस-यूक्रेन संघर्ष में सैन्य भागीदारी के लिए मजबूर किया जा सके।

पुलवामा के 31 वर्षीय इंजीनियरिंग ग्रेजुएट यूसुफ ने शुरू में दुबई में नौकरी के अवसरों की तलाश की, लेकिन झूठे वादों से गुमराह हो गए। अंततः वह रूसी सेना के लिए भाड़े के सैनिक के रूप में युद्ध में फंस गए।

उनके परिवार ने यूक्रेन सीमा पर उनकी खतरनाक स्थिति के बारे में बताया और सरकार से उनकी सुरक्षित वापसी के लिए हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया।

परिवार का आरोप है कि यूट्यूबर फैसल खान द्वारा लालच दिए जाने के बाद  पिछले साल 14 दिसंबर को अच्छी नौकरी की तलाश में वह दुबई चले गए थे। लेकिन उस युवक को क्या पता था कि उसे युद्ध में शामिल कर दिया जाएगा।

सज्जाद ने बताया, ‘यूसुफ अभी यूक्रेन सीमा पर है। हमने कुछ दिन पहले उससे बात की थी और उसने हमें बताया था कि उसकी जान खतरे में है। उसे जबरन एक अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया था जो रूसी भाषा में था और इस तरह वह वहां पहुंच गया।’

उन्होंने कहा कि यूसुफ शाम के समय दो से तीन मिनट के लिए परिवार को फोन कर लेते हैं। उन्होंने अपने भाई के हवाले से कहा, ‘वे अभी जंगलों में बंकर बना रहे हैं। वे काला सागर से आगे बढ़ गए हैं। वे इलाकों पर कब्जा कर लेते हैं और फिर वहां बंकर बनाते हैं।’

उन्होंने कहा कि यूसुफ को 15 दिनों का सैन्य प्रशिक्षण दिया गया था, जिसके दौरान उन्हें एक गोली लगी थी और उन्हें दो सप्ताह तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा। उनका ढाई महीने का बेटा है जिससे वह अब तक मिले भी नहीं हैं।

सज्जाद ने कहा कि उन्हें एजेंटों ने बताया था कि यूसुफ को रसोई सहायक के रूप में नौकरी दी जाएगी लेकिन उन्हें युद्ध लड़ने के लिए रूसी सेना के साथ भेज दिया गया।

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