मां मैं जीना चाहती हूं से दी जीने की प्रेरणा

सराहां (सिरमौर)। कवि सम्मेलन होते रहने चाहिए। कवि बुद्धिजीवी व चिंतनशील होते हैं। यह विचार जिला भाषा अधिकारी सोलन तथा सिरमौर भीम सिंह चौहान ने मानगढ़ में बुधवार को कवि सम्मेलन में रखे। बुधवार को स्वयंवर पर्वतीय जनकल्याण एवं आयुर्विज्ञान अनुसंधान समिति मानगढ़ की ओर से कवि सम्मेलन करवाया गया।
जिला भाषा अधिकारी सोलन तथा सिरमौर के सयुंक्त तत्वाधान में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला मानगढ़ में सम्मेलन हुआ। सोलन से 12, सिरमौर से 10 एवं स्थानीय कवियों ने हिस्सा लिया। सम्मेलन में दुराचार से पीड़ित युवती के जज्बातों को दर्शाती ममता ठाकुर की कविता मां मैं जीना चाहती हूं .. को खूब सराहा गया। अधिकतर कवियों ने कविताओं के माध्यम से कन्या भ्रूण हत्या, दुराचार, आतंकवाद तथा प्रकृति का चित्रण किया। स्थानीय कवि तथा विद्यालय के भाषा अध्यापक डा. राजेंद्र दत्त भंडारी ने वीर भी है भद्र भी है कविता से बधाई संदेश दिया। वरिष्ठ कवि एवं साहित्यकार आचार्य चिरांनद ने कहा कि यदि राष्ट्र धर्म के लिए काव्य खौल नहीं पाया, तो मरे हुए वानर शिशु का सा बोझ कवि क्यों उठाएगा। इससे उन्होंने श्रोताओं में रक्त संचार कर दिया। प्रेम कुमार तथा गौरी शंकर शर्मा ने लोक नृत्य करके श्रोताओं को मंत्र मुग्ध किया। कवि सम्मेलन में राष्ट्रपति आवार्ड से सम्मानित हर्ष जोशी, केआर कश्यप, डा. प्रेम लाल, डा. शंकर वशिष्ठ, सुरेंद्र चंद्र शर्मा, हेमंत अत्री, किशोरी लाल कौंडल, अमर सिंह, भरवाल, हरभजन, गौरी शंकर, हेमंत भार्गव, लक्ष्मी दत्त शर्मा, सतपाल, गजाला सैयद, माम राज शर्मा, अनंत आलोक, रेणुका, ममता ठाकुर, नरवीर ठाकुर, मदन सिंह चौहान, खेम दत्त शर्मा, डा. राजेंद्र भंडारी ने भाग लिया।

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