कुल्लू
जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति के हिमालयी क्षेत्र में भूरे भालू के कुनबे में इजाफा हो रहा है। हिमालयी क्षेत्रों में भूरे भालू के साथ काले और सफेद भालू की भी प्रजातियां हैं, लेकिन लाहौल-स्पीति और चंबा के पांगी इलाकों में भूरे भालू की संख्या अच्छी खासी तादाद में है। बताया जा रहा है कि लाहौल-स्पीति में भूरे भालू की संख्या 50 से 60 फीसदी तक है और उनकी संख्या लगातार बढ़ रही है।
पिछले सप्ताह कुल्लू के राष्ट्रीय जीबी पंत पर्यावरण एवं शोध संस्थान मौहल के एक शोधकर्ता ने लाहौल के मडग्रां की पहाड़ी में भूरे रंग की एक मादा भालू को कैमरे में कैद किया। भूरे रंग की मादा भालू अपने एक बच्चे के साथ पहले नाले को पार करती है और फिर वह पथरीले पहाड़ की ओर चली जाती है।
संस्थान में बतौर शोधकर्ता ने काम कर रहे डॉ. शिव पाल ने कहा कि पिछले सप्ताह वह लाहौल गए थे तो रास्ते में उन्होंने नाले और पहाड़ी के पास भूरे रंग की एक मादा भालू को अपने बच्चे के साथ गुजरते देखा। उन्होंने उन्हें अपने कैमरे में कैद किया।
उधर, वन्य प्राणी कुल्लू के वन मंडल अधिकारी राकेश कुमार ने कहा कि भूरे के साथ काले और सफेद भालू हिमालयी इलाकों में अधिक पाए जाते हैं। इनकी जनसंख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। कहा कि यह भालू अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में ज्यादा पाए जाते हैं।
वनमंडल लाहौल के डीएफओ दिनेश शर्मा ने कहा कि भालुओं की गणना नहीं होने से घाटी में इनकी संख्या बताना मुश्किल है, लेकिन लाहौल में भूरे के साथ काले भालू देखे जा सकते हैं। कोई इनका शिकार न करे, इसके लिए वन विभाग का फील्ड स्टाफ सतर्क है। ग्रामीणों को भी समय-समय जागरूक किया जाता है।