भराड़ी ही नहीं, पूरे जिले में तेंदुए का खौफ

बिलासपुर। कड़ाके की ठंड और तेंदुओं का आतंक लोगों के लिए मुश्किल बन गया है। कामली नाला और अब भराड़ी तेंदुए के निशाने पर है। भराड़ी ही नहीं बल्कि पूरे जिले के ग्रामीण आंचलों में तेंदुए का आतंक खौफ मंडराया हुआ है। तेंदुआ एक है या फिर अनेक। इसका शायद अब वन विभाग को इल्म तक नहीं है। नयनादेवी, घुमारवीं, झंडूता जैसे इलाकों में तेंदुआ देखा गया है। वर्ष 1991-93 के बाद इलाके में कोई गणना नहीं हुई है। उस दौरान विभाग ने 68 तेंदुए आइडेंटीफाई किए थे। अब इतने लंबे अंतराल के बाद न जाने इनका कुनबा कितना बढ़ा होगा। वन विभाग नहीं जानता।
तेंदुए के आतंक से छुटकारा दिलाने की चारों ओर से मांगे उठ रही है। वन विभाग बेबस है। एक साथ पूरे जिले में तेंदुए को मारने के आर्डर करना विभाग के लिए आसान नहीं होगा। अब तक तेंदुआ कई लोगों को अपना शिकार बना चुका है। कुछ दिन पहले विभाग के शार्प शूटरों की टीम ने कामली नाला में एक तेंदुए को ढेर किया है। यहां भी एक बच्ची पर तेंदुए ने हमला बोला था। एक तेंदुआ मार गिराया तो दूसरे ने हमला बोल कर एक नन्ही जान ले ली। आखिर कब तक शूट करने के आर्डर दिए जाते रहेंगे। जानकारों की मानें तो एक साथ तेंदुओं को मारने के भी आदेश नहीं दिए जा सकते। लोग सभी तेंदुओं को मारने के आर्डर करने की मांग पर अडे़ हैं। ऐसे में वन विभाग की भी दिक्कतें बढ़ती नजर आ रही है। उधर, वनमंडल अधिकारी डीआर कौशल कहते हैं कि 1991-93 में हुई तेंदुओं की गणना के अनुसार करीब 68 तेंदुए थे। अब इनकी संख्या में इजाफा हुआ होगा। भराड़ी के लिए शार्प शूटरों की टीम बुलाई गई है।

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