पूर्व जज ने बेअदबी के लिए डेरा समर्थक और इंसाफ में देरी के लिए सरकारों-हाईकोर्ट को ठहराया जिम्मेदार

पूर्व जज ने बेअदबी के लिए डेरा समर्थक और इंसाफ में देरी के लिए सरकारों-हाईकोर्ट को ठहराया जिम्मेदार

चंडीगढ़
जस्टिस रणजीत सिंह (रिटायर) ने बेअदबी से संबंधित अपनी पुस्तक ‘द सैक्रिलीज’ में कांग्रेस और पूर्व की शिअद-भाजपा गठबंधन सरकार को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। पुस्तक में उन्होंने कहा है कि बेअदबी के लिए डेरा समर्थक जिम्मेदार थे, लेकिन पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सिंह और चरणजीत सिंह चन्नी तथा इससे पहले प्रकाश सिंह बादल की सरकार लोगों को इंसाफ दिलाने में नाकाम रही। उन्होंने बेअदबी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर गोलियां चलवाने के आरोपी पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी को ब्लैंकेट बेल देने का मामला उठाते हुए हाईकोर्ट को भी कठघरे में खड़ा किया।

विमोचन समारोह में जस्टिस रणजीत सिंह के अलावा जस्टिस (रि) एसएस सोढ़ी, जस्टिस (रि) नवाब सिंह, जस्टिस (रि) महेश ग्रोवर मौजूद रहे। अपनी पुस्तक ‘द सैक्रिलीज’ के बारे में जस्टिस रणजीत सिंह ने कहा कि कई एसआईटी और दो जांच आयोगों की जांच के बावजूद बेअदबी के असली दोषियों को सजा दिलाने का कोई ठोस प्रयास नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि जस्टिस रणजीत सिंह आयोग की रिपोर्ट पर पंजाब विधानसभा में बहस हुई और सदन ने सर्वसम्मति से इसे स्वीकार भी कर लिया, लेकिन रिपोर्ट को सार्वजनिक कर लोगों को इसके बारे में पूरी जानकारी नहीं दी गई। रिपोर्ट को केवल विधानसभा में राजनीति करने का मुद्दा बनाया गया।

उन्होंने कहा कि इस मामले में इंसाफ मिलने में हुई देरी के लिए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट का दखल भी जिम्मेदार है। पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी को दी गई ब्लैंकेट बेल पर भी जस्टिस रणजीत ने सख्त टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि डीजीपी के मामले में हाईकोर्ट ने अधिकार क्षेत्र से आगे जाकर इस तरह का आदेश दिया है कि सुमेध सिंह सैनी के खिलाफ चुनाव तक कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती। जबकि प्रदर्शनकारियों की मौत के लिए पूर्व डीजीपी सैनी ही जिम्मेदार हैं।

उन्होंने 2017 से पहले सत्तासीन रही प्रकाश सिंह बादल के नेतृत्व वाली शिअद-भाजपा सरकार और इसके बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह और अब चरणजीत सिंह चन्नी की कांग्रेस सरकार को बेअदबी के मामले में लोगों को इंसाफ दिलाने में नाकाम बताया और सख्त लहजे में दोनों सरकारों को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि बेअदबी के दोषियों को सजा दिलाने में इन सरकारों की राजनीतिक इच्छाशक्ति कहीं दिखाई नहीं दी।
जस्टिस रणजीत सिंह पर भी उठे सवाल
प्रेसवार्ता के दौरान जस्टिस रणजीत सिंह से सवाल पूछा गया कि चुनाव से ठीक पहले यह पुस्तक क्यों जारी की जा रही है। इस पर उन्होंने सफाई दी कि वह किसी राजनीतिक दल से जुड़े नहीं हैं, न ही उनका कोई राजनीतिक हित है। ऐसे में इस समय इस पुस्तक का विमोचन केवल एक संयोग मात्र है।
डेरा प्रेमियों को बचाने के लिए राजनीतिक दबाव
जस्टिस सिंह ने कहा कि बेअदबी मामले में सीबीआई सीधे तौर पर डेरा प्रेमियों को बचाने का प्रयास कर रही थी। जांच में सामने आया था कि पूर्व में जांच करने वाली एसआईटी पर भी मामले की जांच को आगे न बढ़ाने का दबाव था। राजनीतिक दबाव के चलते यह मामला आज तक सिरे नहीं चढ़ सका।
पहले हल्के में लिए गए बेअदबी के मामले
जस्टिस रणजीत सिंह ने कहा कि बेअदबी की घटनाएं 2015 से पहले भी होती रहीं, लेकिन तब न तो सरकार ने और न ही लोगों ने इसे गंभीरता से लिया। बरगाड़ी में बेअदबी की घटना के बाद लोग एकत्रित हुए और फिर प्रशासन भी इन घटनाओं के प्रति गंभीर हो गया। इसके बाद लोगों को हटाने का प्रयास किया गया और डीजीपी ने रात को डीसी को मैसेज भेजते हुए कहा कि दस मिनट का समय दो, पूरा शहर क्लीयर करवा कर चाबी आपके हाथ में थमा दूंगा। इसके बाद ही कोटकपूरा और बहिबल कलां में गोलियां चलीं और मासूम मारे गए।

Related posts