इसके अलावा स्टैंडिंग ऑर्डर और अन्य बिंदुओं पर भी जवाब मांगा गया है। डेढ़ साल पहले भंडारी ने थाना छोटा शिमला में करीब 10 वरिष्ठ अफसरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया है। इनमें से कुछ अब सेवानिवृत्त हैं तो कुछ अहम पदों पर हैं।
भंडारी ने कोर्ट में मामला खारिज होने के बाद इन अफसरों पर फोन टैपिंग का झूठा केस बनाकर फंसाने का आरोप लगाया है। इस झूठे मामले को बनाकर सीआईडी के गोपनीय तकनीकी सेल में गैरकानूनी तरीके से प्रवेश कर वहां से अति गोपनीय सूचनाओं वाले कंप्यूटरों से भी छेड़खानी का आरोप लगाया है।
भंडारी के अनुसार उनके पास जब एडीजीपी सीआईडी का भी प्रभार था तो उसी दौरान 24 दिसंबर 2013 की आधी रात को कुछ अफसरों ने सीआईडी की गोपनीय तकनीकी सेल में अनधिकृत रूप से प्रवेश किया। यहां से जिन कंप्यूटरों को हटवाया गया, उन्हीं में रिकॉर्ड टॉप सीक्रेट बातों को गैरकानूनी तरीके से सार्वजनिक करने की बात भंडारी कह रहे हैं।
किताब में भी खुलासा कर चुके भंडारी
क्या कहते हैं पूर्व डीजीपी
पूर्व डीजीपी आईडी भंडारी ने पूछने पर बताया कि उन्हें प्रश्नावली मिली है। इसका वह जवाब दे रहे हैं। यह पूरा मामला साफ है और दस्तावेजों के आधार पर दर्ज है। केस दर्ज होने के डेढ़ महीने के भीतर चालान अदालत में पेश हो जाना चाहिए था लेकिन एफआईआर हुए करीब डेढ़ साल हो चुका है। बावजूद इसके कुछ लोगों के दखल की वजह से केस को धीमा कर केवल औपचारिकताएं की जा रही हैं।