पुलिस के होनहार अधिकारी ताहिर अशरफ को मिला पीएमजी पदक

पुलिस के होनहार अधिकारी ताहिर अशरफ को मिला पीएमजी पदक

जम्मू-कश्मीर
एसपी ताहिर अशरफ को साल 2018 में जांच में उत्कृष्टता के लिए केंद्रीय गृह मंत्री पदक से सम्मानित किया गया है। वह यह पदक प्राप्त करने वाले उच्चाधिकारियों में पहले हैं। ताहिर अशरफ केपीएस 2004 बैच के अधिकारी हैं। डिप्टी एसपी रहते हुए वह नौशेरा, रियासी, बांदीपोरा में भी सेवाएं दे चुके हैं।

बतौर एसपी वह एसीबी, एसपी हेटक्वार्टर अनंतनाग में सेवाएं दे चुके हैं। वर्तमान में वह ऑपरेशन्स श्रीनगर व साइबर पुलिस संभाग कश्मीर की कमान संभाल रहे हैं। ताहिर अशरफ लोगों को साइबर अपराधों के बारे में समय-समय पर जागरूक करते रहते हैं। इसके जरिए घाटी की आवाम का पुलिस पर भरोसा भी बढ़ा है। ताहिर अशरफ को 2019 में वीरता के लिए जेके पुलिस पदक से सम्मानित किया जा चुका है। इसके साथ ही 2019 में उन्हें  परामक्र पदक से भी सम्मानित किया गया है।
बता दें कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद घाटी में जम्मू-कश्मीर पुलिस का साइबर सेल इंटरनेट यूजर्स पर कड़ी नजर रख रहा है। अफवाहबाजों, आतंकवाद समर्थकों के साथ-साथ हर उस शख्स के सोशल मीडिया अकाउंट पर नजर रखी जा रही जो नफरत फैलाने के साथ-साथ घाटी में हालात खराब करवाना चाहते हैं।
साइबर पुलिस कश्मीर जोन का श्रीनगर में पुलिस स्टेशन है। इसमें जितने भी मामले साइबर पुलिसिंग के दायरे में आते हैं उनका समय रहते संज्ञान लिया जाता है। सोशल मीडिया का दुरुपयोग कर भड़काऊ, देश विरोधी व अन्य पोस्ट अपलोड करने वालों के खिलाफ जल्द से जल्द कार्रवाई की जाती है।

एसएसपी ने कहा कि अगर कोई भी व्यक्ति ऑनलाइन ठगी का शिकार होता है तो सबसे पहले उसे इसकी जानकारी साइबर पुलिस थाने को देनी चाहिए। जितनी जल्दी जानकारी मिलेगी, उससे आरोपी को ट्रैक करने में आसानी होगी।

ताहिर अशरफ के अनुसार विशिंग एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें एक शख्स को एसएमएस या ई-मेल के जरिये एक फ्रॉड मैसेज भेजा जाता है और उसमें लालच दिया जाता है। उनसे कहा जाता है कि उन्होंने एक भारी रकम जीती है। इस लालच में आकर व्यक्ति सारी डिटेल और अन्य जानकारी दे देता है। यहां तक कि अकाउंट नंबर भी मांगा जाता है जिसमें उन्हें उनका पैसा ट्रांसफर करवाने का आश्वासन दिया जाता है। ताहिर के अनुसार कई बार हैकर्स बैंक अकाउंट को एक्सेस करते हैं। वो अकाउंट से पैसा निकाल लेते हैं या कुछ लोग खुद पैसा हैकर्स के अकाउंट में ट्रांसफर कर देते हैं।

 

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