पढ़िए किस फॉमूले पर किया भाजपा ने काम, कैसे कांग्रेस ने फिर खाई मात

पढ़िए किस फॉमूले पर किया भाजपा ने काम, कैसे कांग्रेस ने फिर खाई मात

देहरादून
उत्तराखंड में अब तक हुए उपचुनाव ही नहीं बल्कि पांच बार हो चुके विधानसभा चुनावों में से किसी भी चुनाव में किसी भी प्रत्याशी ने कुल मतों में से 92.94 फीसदी मत हासिल नहीं किए। यह कीर्तिमान सीएम धामी के नाम दर्ज हुआ। यही वजह है कि उपचुनाव की इस अनूठी जीत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी धामी की पीठ थपथपाई और उन्हें डायनामिक मुख्यमंत्री बताया।

पराजय के बावजूद मुख्यमंत्री बनाए जाने का जो भार पुष्कर सिंह धामी महसूस कर रहे थे, चंपावत विधानसभा उपचुनाव की ऐतिहासिक जीत के साथ वह काफी हल्का हो गया है। जानकारों के मुताबिक, यह रिकॉर्ड जीत धामी के आत्मविश्वास को और मजबूत बनाने का आधार बनेगी। इस जीत ने सत्ता की बागडोर संभाल रहे धामी को ही ताकत नहीं दी है, बल्कि यह 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट चुकी भाजपा का मनोबल बढ़ाने की वजह बनी है।

उत्तराखंड में अब तक हुए उपचुनाव ही नहीं बल्कि पांच बार हो चुके विधानसभा चुनावों में से किसी भी चुनाव में किसी भी प्रत्याशी ने कुल मतों में से 92.94 फीसदी मत हासिल नहीं किए। यह कीर्तिमान सीएम धामी के नाम दर्ज हुआ। यही वजह है कि उपचुनाव की इस अनूठी जीत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी धामी की पीठ थपथपाई और उन्हें डायनामिक मुख्यमंत्री बताया।

चंपावत उपचुनाव में चुनाव लड़ने के एलान के दिन से ही यह तय मान लिया गया था कि मुख्यमंत्री विजयी हो जाएंगे लेकिन सरकार और संगठन ने इस उपचुनाव को उतनी ही गंभीरता के साथ लड़ा जितनी गंभीरता से वह 2022 के विधानसभा चुनाव में उतरी थी।

कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास, सौरभ बहुगुणा, प्रदेश संगठन महामंत्री अजेय कुमार, सीएम के लिए सीट छोड़ने वाले कैलाश चंद्र गहतोड़ी समेत सरकार के तकरीबन सभी मंत्रियों ने धामी की ऐतिहासिक जीत के लिए चंपावत के समर में वोटों की अपील की। प्रचार के आखिरी चरण में केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट समेत तमाम बड़े और छोटे नेताओं ने चंपावत का रुख किया। खुद सीएम और उनकी टीम मोर्चे पर डटी रही।
पन्ना प्रमुख का फार्मूला चंपावत उपचुनाव में भाजपा ने कायदे से लागू किया
सीएम के नामांकन भरने के बाद ही भाजपा बूथ प्रबंधन में जुट गई। पार्टी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को बूथों की जिम्मेदारी दी गई। पन्ना प्रमुख का फार्मूला चंपावत उपचुनाव में भाजपा ने कायदे से लागू किया। पार्टी के प्रदेश संगठन महामंत्री अजेय कुमार कई दिन वहां डेरा जमाए रहे। बकौल, अजेय कुमार, इस जीत में बूथ प्रबंधन की रणनीति ने काम किया। लोगों में मुख्यमंत्री धामी के प्रति खास लगाव देखने को मिला। लोग चंपावत का विकास चाहते हैं, ये उन्होंने रिकॉर्ड मत देकर साबित कर दिया है।

सियासी जानकारों के मुताबिक, 2024 के लोक सभा चुनाव की तैयारी में जुटी भाजपा के लिए चंपावत उपचुनाव के खास मायने हैं। यह उपचुनाव में मिली जीत है, लेकिन समर में जो दुर्दशा कांग्रेस की हुई है वह कहीं न कहीं विरोधियों का मनोबल तोड़ने और भाजपा के कैडर का मनोबल बढ़ाने में मददगार बन सकती है। भाजपा की चुनावी रणनीति के आगे कांग्रेस कहीं ठहर नहीं पाई।

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा पार्टी के उपचुनाव में अब तक के सबसे खराब प्रदर्शन के लिए बेशक सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, लेकिन इस पराजय उसकी तैयारियों की पोल खोल दी है। इस करारी शिकस्त ने साफ कर दिया कि कांग्रेस अब तक अपने भीतर के संघर्ष और गुटबाजी से उभर नहीं पाई है। उसकी प्रत्याशी निर्मला गहतोड़ी का महज 5.16 फीसदी वोटों पर सिमट जाना राज्य की दूसरी बड़ी पार्टी के मनोबल को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाने वाला है।

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