पंजाब बड़े भाई का फर्ज निभाकर शानन प्रोजेक्ट को हिमाचल को सौंप दे : सीएम सुक्खू

पंजाब बड़े भाई का फर्ज निभाकर शानन प्रोजेक्ट को हिमाचल को सौंप दे : सीएम सुक्खू

शानन प्रोजेक्ट हासिल करने, चंडीगढ़ में 7.19% हिस्सेदारी व हिमाचल में चल रही विद्युत परियोजनाओं पर वाटर सेस लगाने के अपने स्टैंड पर हिमाचल सरकार कायम है। हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू का कहना है कि यह हमारे हक हैं और हम इन्हें हासिल करेंगे। पंजाब को बड़ा भाई बताते हुए सुक्खू ने कहा कि पंजाब शानन पावर प्रोजेक्ट हिमाचल को सौंपकर अपना हक अदा करे।

हिमाचल भी छोटा भाई होने के नाते पंजाब से अपील करेगा कि वह हमारा हक कानूनी रूप और नियमों के तहत हमें सौंप दे। यहां अमर उजाला से बातचीत में उन्होंने कहा कि पानी देना पुण्य का कार्य है और हरियाणा भी हमारा भाई है, हम उसे सतलुज का पानी सीधे लेने के लिए हिमाचल से रास्ता देने को तैयार हैं। यह एसवाईएल परियोजना धरातल पर भी व्यावहारिक है। इसे लेकर अधिकारियों से बात की है।

हरियाणा सरकार के अधिकारी प्रोजेक्ट लेकर आएं और बात आगे बढ़ाएं। चंडीगढ़ पर दावे को लेकर सुक्खू ने कहा कि कृषि मंत्री चंद्र कुमार की अध्यक्षता में कैबिनेट सब कमेटी बनाई है। उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान, राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी और बिजली विभाग के सचिव सदस्य बनाए हैं। कमेटी की रिपोर्ट के बाद हिमाचल कानूनी रूप से चंडीगढ़ की जमीन पर 7.19% हिस्सेदारी का दावा ठोकेगा।

भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) से 4 हजार करोड़ की रॉयल्टी के सवाल पर उन्होंने कहा कि इसके लिए भी प्रयास कर रहे हैं। सब कमेटी सुझाव देगी। उसी के आधार पर आगे बढ़ा जाएगा। सीएम सुक्खू ने कहा कि वाटर सेस का पंजाब और हरियाणा को विरोध नहीं करना चाहिए, क्योंकि हिमाचल सरकार की ओर से पंजाब और हरियाणा में आ रहे पानी पर सेस नहीं लगाया गया है, बल्कि हिमाचल में ही पानी रोककर जहां बिजली बनाई जा रही है, वहां सेस लगाया गया। इसेो लेकर जल्द आयोग गठित करेंगे और इसके तुरंत बाद सेस लागू होगा। इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देना ठीक नहीं है। हिमाचल के पास पानी ही है, अच्छी आय के लिए जो संभव होगा, करेंगे।

वाटर सेस पर हिमाचल से सौतेला व्यवहार न करे केंद्र
वाटर सेस को केंद्र सरकार द्वारा गलत करार देने के सवाल पर सुक्खू का कहना है कि केंद्र को हिमाचल से सौतेला व्यवहार नहीं करना चाहिए। जब सिक्किम और जम्मू समेत अन्य राज्यों में ऐसा हो सकता है तो हिमाचल में क्यों नहीं। वाटर सेस से हिमाचल को सालाना 2,000 करोड़ का राजस्व मिलेगा। पंजाब और हरियाणा अपने उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली देने के लिए अन्य टैक्स कम करे, लेकिन सेस का विरोध न करे।

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