न लंबाई बढ़ी न ब्राडगेज का सपना हुआ साकार

धर्मशाला। जोगिंद्रनगर स्थित शानन हाइडल प्रोजेक्ट तक माल पहुंचाने के मकसद से अंग्रेेजों द्वारा बनाई गई पठानकोट-जोगिंद्रनगर शार्टगेज रेलवे लाइन कांगड़ा की लाइफ लाइन तो बन गई, मगर आजादी के बाद यह ट्रैक एक इंच भी आगे नहीं बढ़ सका। कांगड़ा घाटी रेल राजनीतिक महत्वाकांक्षा के बवंडर में महज वोटों की राजनीति में पिस कर रह गई। न तो कांगड़ा रेल पटरी को ब्राडगेज किया जा सका है और न ही इसका आगे कोई विस्तार। ऐसे में 26 फरवरी को प्रस्तावित केंद्रीय रेलवे बजट पर कांगड़ा की नजर टिकी है, तो सांसद डा. राजन सुशांत की सियासी प्रतिष्ठा फिर दांव पर है।
कांगड़ा-चंबा संसदीय क्षेत्र की पैरवी कर रहे राजन सुशांत ने पिछली मर्तबा रेलवे बजट में कांगड़ा रेल के नाम पर फूटी कौड़ी न मिलने पर स्वयं कहा था कि उनका सिर संसद में शर्म से झुक गया। अब देखना यह है कि केंद्रीय रेलवे मंत्री पंवन कुमार बंसल हिमाचल का कितना मान रखते हैं। वर्ष 1926 में अंग्रेजों द्वारा बनाया गया कांगड़ा घाटी रेलवे ट्रैक आज 87 साल का हो गया है। लेकिन भारत सरकार ने आजादी के बाद इसके विस्तार में एक कील तक नहीं लगाई।
हालांकि कांगड़ा घाटी रेल ट्रैक भी कालका-शिमला की तर्ज पर यूनेस्को की हेरिटेज साइट की दहलीज पर खड़ा है। मगर सुविधा और विकास के नाम पर रेलवे ने इस पर ट्रेन दौड़ाने के अलावा कुछ नहीं किया। हालांकि कांगड़ा घाटी रेल ट्रैक को रेलवे ने मंडी तक सर्वेक्षण के लिए चिन्हित किया है मगर यह सब घोषणाओं तक ही सीमित है।

केंद्र को भेजा है प्रस्ताव : राजन सुशांत
कांगड़ा-चंबा के लोकसभा सांसद डा. राजन सुशांत का कहना है कि केंद्र ने हिमाचल में रेलवे विस्तार को लेकर राज्य से हमेशा भेदभाव किया है। इस बार भी कांगड़ा घाटी रेल को ब्राडगेज करने तथा मंडी और लेह तक इसके विस्तार को लेकर सर्वेक्षण को आगे बढ़ाने की मांग की है। सांसद होने के नाते क्षेत्र के विकास के पहलू से हर योजना को केंद्र के समक्ष प्रभावी ढंग से रखा गया है।

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