नौणी विवि सेब की स्कैब प्रतिरोधक किस्म पर कर रहा काम, साथ ही इसकी उप किस्म भी कर ली तैयार

नौणी विवि सेब की स्कैब प्रतिरोधक किस्म पर कर रहा काम, साथ ही इसकी उप किस्म भी कर ली तैयार

जर्मनी के जूलियस कुहन इंस्टीट्यूट (जेकेआई) ने सेब की स्कैब प्रतिरोधक किस्म ईजाद की है। यह किस्म स्कैब सहित अन्य फंगस रोगों के प्रति भी प्रतिरोधी है। अब हिमाचल प्रदेश के डॉ. वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय ने भी इस पर शोध शुरू कर दिया है। विवि ने इसकी एक उप किस्म तैयार कर ली है।  यह किस्म हिमाचल, कश्मीर और उत्तराखंड के बागवानों के लिए आशा की नई किरण बनी है। स्कैब सहित अन्य फंगस संक्रमण से सेब की फसल को बचाने के लिए बागवानों को फफूंदनाशकों का इस्तेमाल करना पड़ रहा है जिससे फसल की लगात में भारी बढ़ोतरी हो रही है।

फल, सब्जी एवं सेब उत्पादक संघ के अध्यक्ष हरीश चौहान का कहना है कि जर्मनी के संस्थान की तर्ज पर हिमाचल के बागवानी विश्वविद्यालय को भी सेब की स्कैब प्रतिरोधक किस्म तैयार करनी चाहिए। बागवानी विभाग को स्कैब प्रतिरोधक किस्मों के पौधे ही आयात करने चाहिए। साल 1983-84 में स्कैब से सेब को भारी नुकसान हुआ था, करीब 40 साल बाद इस साल दोबारा ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सेब पर स्कैब के लक्षण दिखे हैं। इस साल अल्टरनेरिया और मार्सोनिना फंगस रोगों के कारण पतझड़ से बागवानों को भारी नुकसान हुआ है।

क्रॉस ब्रीडिंग तकनीक से तैयार हुई किस्म : देवेंद्र
कृषि विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा का कहना है कि क्रॉस ब्रीडिंग तकनीक से जर्मनी के संस्थान ने स्कैब प्रतिरोधक किस्म तैयार की है।  हिमाचल के बागवानी विश्वविद्यालय को जर्मनी के संस्थान के सहयोग से इसे लेकर शोध करना चाहिए और भविष्य में सेब की स्कैब प्रतिरोधक किस्मों का ही आयात करना चाहिए।

फंगस रोगों के लिए प्रतिरोधक कुछ उप किस्में तैयार की हैं। विश्वविद्यालय इन पर शोध कर रहा है। —प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल, कुलपति डॉ. वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी (सोलन)

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