नैनीताल का टैक्स पैट्रन होगा स्टडी

शिमला। शहर में किस पद्धति पर प्रापर्टी और हाउस टैक्स की वसूली करनी है, इसको लेकर गठित की गई पार्षदों की कमेटी ने मंथन किया। उप महापौर टिकेंद्र पंवर की अध्यक्षता में हुई बैठक में एक राय से नैनीताल के टैक्स पैट्रन को स्टडी करने का फैसला लिया गया। संभावित है कि आठ फरवरी को दोबारा कमेटी की बैठक आयोजित होगी।
11 फरवरी को टैक्स पद्धति को लेकर विशेष सदन बुलाया गया है। जनवरी माह में हुई मासिक बैठक में यूनिट एरिया मेथड और पुरानी टैक्स पद्धति के बीच का रास्ता निकालने और नई प्रणाली को सरल बनाने के लिए पार्षदों की कमेटी गठित की गई थी। बुधवार को इस कमेटी की पहली बैठक आयोजित हुई। बैठक में नैनीताल में नई और पुरानी टैक्स पद्धति को मिलाकर बनाई गई टैक्स पद्धति को लेकर चर्चा की गई। फैसला लिया गया कि नैनीताल के पैट्रन को स्टडी कर शिमला में टैक्स वसूली का मेथड तैयार किया जाएगा।
बैठक में भाग लेते हुए पार्षद सुरेंद्र चौहान ने घासनियों को टैक्स वसूली से बाहर रखने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि अगर घासनियों को बेचा जाता है तो टैक्स लिया जाए। पार्षद अनूप वैद्य ने सब फैक्टर बनाकर शहर को विभिन्न वर्गों में विभाजित करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि टैक्स प्रणाली का प्रारूप इस तरह से किया जाना चाहिए कि हर आदमी अपने टैक्स का स्वयं आकलन कर सके।
उप महापौर टिकेंद्र पंवर ने बताया नैनीताल में नई और पुरानी टैक्स पद्धति को मिलाकर एक नया मेथड निकाला गया है। इसके आधार पर नैनीताल में टैक्स वसूला जाता है। शिमला नगर निगम भी नैनीताल के पैट्रन को स्टडी करेगा। बैठक में सहायक आयुक्त नरेश ठाकुर सहित पार्षद मनोज कुठियाला, शैलेंद्र चौहान, नरेंद्र ठाकुर मौजूद रहे।

क्या है नई प्रणाली यूनिट एरिया मेथड
यूनिट एरिया मेथड के तहत शहर को विभिन्न जोन में बांटा जाएगा। क्षेत्र, मकान की हालत, मकान का उपयोग सहित कुछ अन्य बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए विभिन्न कैटेगिरी बनाई जाएंगी। इसके आधार पर शहर में हाउस और प्रापर्टी टैक्स की राशि तय की जाएगी। वर्तमान में पूरे शहर में रेंट आधार पर टैक्स की वसूली की जा रही है।

2012-13 में टैक्स नहीं वसूल सका निगम
साल 2012-13 में प्रापर्टी और हाउस टैक्स वसूली करने में नगर निगम नाकाम साबित हुआ है। फरवरी 2012 से राज्य सरकार ने शहर में हाउस और प्रापर्टी टैक्स वसूली यूनिट एरिया मेथड के तहत करने की अधिसूचना जारी की है लेकिन निगम सदन को यह मेथड मंजूर नहीं होने के चलते बीते एक साल में शहर में टैक्स वसूला नहीं जा सका है। निगम की मौजूदा आर्थिक तंगी का यही एक बड़ा कारण भी माना जा रहा है। टैक्स से निगम को सालाना करीब पंद्रह करोड़ की आय होती है।

Related posts