निधि’ खर्च करने में कंजूसी दिखा रहे विधायक

अंबेडकरनगर। जिले में विकास का पहिया तेजी से आगे बढ़े भी तो कैसे? इसे लेकर जनप्रतिनिधि ही गंभीर नहीं हैं। चुनाव से पूर्व रैलियों एवं बैठकों में अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में विकास की गंगा बहाने का दावा करने वाले जनप्रतिनिधि जीत हासिल करने के बाद पूर्व में किए गए वादों से मुंह मोड़े हुए हैं। हालत यह है कि विधायक निधि का धन खर्च करने में भी कंजूसी दिखा रहे है। अपनी निधि से विकास कार्य कराने को लेकर यह जनप्रतिनिधि कितना गंभीर हैं, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कटेहरी विधायक ने निधि के धन का एक भी रुपया खर्च नहीं किया है। जिन विधायकों ने निधि का धन विकास कार्यों में खर्च भी किया है, उनकी मेहरबानी विद्यालयों पर अधिक रही है। डीआरडीए (जिला ग्राम्य विकास अभिकरण) के आंकड़ों के अनुसार सभी पांचों विधानसभा में विधायक निधि में कुल 6 करोड़ 25 लाख रुपये आए, लेकिन अब तक मात्र 1 करोड़ 32 लाख 4 हजार रुपये ही खर्च किए जा सके हैं। नतीजतन तमाम गांव में अभी भी मूलभूत सुविधाओं का टोटा है। आवागमन, स्वास्थ्य, शुद्ध पेयजल, विद्युतीकरण की बाट जोह रहे तमाम गांव के ग्रामीण अपने को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। उनका कहना है कि चुनाव के समय तो जनप्रतिनिधियों द्वारा खूब बढ़ चढ़कर विकास कराने के दावे किए गए, लेकिन प्रदेश में सरकार बने सात माह से अधिक का समय बीत गया, बावजूद इसके समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। लगभग पांच माह पूर्व सभी विधायकों की निधि में शासन द्वारा भेजे गए धन के खर्च का ब्यौरा जब ‘अमर उजाला’ ने डीआरडीए से लिया, तो कुछ इस प्रकार का सच सामने आया-
कटेहरी विधानसभा से निर्वाचित विधायक शंखलाल मांझी मौजूदा समय में प्रदेश सरकार में स्वास्थ्य राज्यमंत्री हैं। विधानसभा क्षेत्र के लोगों को काफी उम्मीदें हैं। हालांकि अभी तक आम जनता की उम्मीदों को झटका ही लग रहा है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 9 मई को शासन द्वारा विधायक निधि में 44 लाख 66 हजार तथा 7 अगस्त को 80 लाख 34 हजार रुपये की धनराशि अवमुक्त की गई। इस प्रकार कुल 1 करोड़ 25 लाख रुपये की धनराशि विधायक निधि में आई। इस धन का प्रयोग विकास कार्यों में लगाने के लिए विधायक मांझी कितना गंभीर हैं, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पांच माह बीतने के बाद भी अभी तक एक भी रुपया विकास कार्य में खर्च नहीं किया गया है। अकबरपुर विधानसभा से निर्वाचित हुए विधायक राममूर्ति वर्मा मौजूदा समय में प्रदेश सरकार में दुग्ध विकास मंत्री हैं। इनकी निधि में शासन से अब तक 1 करोड़ 25 लाख रुपये आ चुके हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्य हो तो रहे हैं, लेकिन उनकी गति काफी धीमी है। इससे क्षेत्र के मतदाताओं की तमाम उम्मीदों को भी झटका लग रहा है। जिला ग्राम्य विकास अभिकरण कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार विधायक वर्मा द्वारा अभी तक अपनी निधि में से मात्र चार परियोजनाओं में 5 लाख 84 हजार रुपये ही खर्च किए गए हैं। इसमें भी 5 लाख रुपये दो विद्यालयों पर ही खर्च किए गए हैं। शेष 84 हजार रुपये विद्युतीकरण पर खर्च किए गए। जलालपुर की जनता ने बड़ी उम्मीदों के साथ एक बार से विधानसभा क्षेत्र की बागडोर विधायक शेरबहादुर सिंह के हाथ में दी। उन्हें उम्मीद थी कि इस बार आवागमन, विद्युतीकरण और शुद्ध पेयजल जैसी मूलभूत समस्याओं से उन्हें अवश्य छुटकारा मिल जाएगा। चुनाव से पूर्व उनसे ऐसे वादे भी किए गए थे, लेकिन उनकी उम्मीदों को अभी तक पंख नहीं लग सका है। विधायक निधि में आए 1 करोड़ 25 लाख रुपये के सापेक्ष 42 लाख 71 हजार रुपये ही खर्च किए जा सके हैं। इसमें भी 6 विद्यालयों पर 28 लाख रुपये खर्च कर दिए गए। शेष रकम से अन्य विकास कार्य हुए भी लेकिन वो क्षेत्र के लोगों को समस्याओं से राहत नहीं दिला सके। टांडा की जनता ने उलटफेर करते हुए इस बार विधायक अजीमुलहक पहलवान को जीत का ताज पहनाया। इस उम्मीद के साथ कि क्षेत्र में विकास की गंगा बहेगी। उम्मीद भी इसलिए कि चुनाव से पूर्व उनसे विकास के तमाम वादे किए गए थे। हालांकि अभी तक ऐसा कुछ भी नहीं हो सका है, जिसे प्रमुख विकास कार्य के रूप में गिना जा सके। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि विधायक निधि में आए 1 करोड़ 25 लाख के सापेक्ष अभी तक पांच मार्ग परियोजनाओं के प्रस्ताव भेजे गए हैं। इसमें मात्र 38 लाख 99 हजार रुपये ही खर्च किए जा सके। इसके विपरीत तमाम क्षेत्र आज भी ऐसे हैं जहां के निवासी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। आलापुर विधानसभा क्षेत्र में भी विकास का पहिया काफी धीमी गति से चल रहा है। क्षेत्र की जनता ने जिस उम्मीद से भीम प्रसाद सोनकर को विधायक की कुर्सी तक पहुंचाया। उस उम्मीद पर वह अभी तक खरे नहीं उतरे। नतीजतन लोगों की मूलभूत समस्याएं जस की तस है। लोगों को विभिन्न समस्याओं से निजात दिलाने के लिए विधायक सोनकर कितना गंभीर हैं, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि निधि में आए 1 करोड़ 25 लाख रुपये के सापेक्ष 44 लाख 50 हजार रुपये ही खर्च किए जा सके हैं। खास बात यह है कि जिन 8 परियोजनाओं पर धन खर्च किया गया है, वह सभी विद्यालयों पर ही खर्च किया गया है।

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