नहीं मिलेगी ‘मुफ्त बिजली’ या बिजली बिल पर सब्सिडी, आ रहा है यह नया कानून

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मतदाताओं को ‘फ्री बिजली’ या बिजली के बिल पर भारी सब्सिडी देने की राजनीति पर जल्द ही विराम लग सकता है। केंद्र सरकार नई बिजली टैरिफ संबंधी पॉलिसी में इस तरह के प्रावधान लागू करने पर विचार कर रही है। यह नीति लागू होने के बाद कोई सरकार मुफ्त बिजली देने की योजना लागू नहीं कर सकेगी। हालांकि, राज्य सरकारों के पास अपने मतदाताओं को सस्ती बिजली देने का विकल्प बना रहेगा।

देश पर पड़ता है बोझ

केंद्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) आरके सिंह ने सोमवार को एक कार्यक्रम के दौरान बताया कि नए नियमों के तहत क्रॉस सब्सिडी को 25 फीसदी प्रति वर्ष की दर से कम करना होगा, जिससे आने वाले समय में इसे पूरी तरह खत्म किया जा सके। क्रॉस सब्सिडी के मामले में राज्य सरकारों के माध्यम से अंततः देश पर भार पड़ता है, और सब्सिडी का भुगतान समाज के ही दूसरे वर्ग को करना पड़ता है। वहीं अगर सरकारें चाहती हैं कि वे अपने नागरिकों को मुफ्त बिजली दें, तो उन्हें इसका मूल्य अपने वित्तीय संसाधनों से चुकाना होगा या अपने बजट में अलग से प्रावधान करना होगा।

नागरिकों में बढ़े बिजली बचत की भावना

सरकारों को डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर यानी मतदाताओं के खाते में सब्सिडी राशि को भेजने विकल्प का होगा। यानी नागरिकों को तो अपने उपभोग के हिसाब से बिजली बिल चुकाना होगा, लेकिन राज्य सरकार की तरफ से भेजे गए पैसे में से वे इसका भुगतान कर सकेंगे। वहीं, जिनका बिजली बिल कम आएगा, वे अपनी डायरेक्ट सब्सिडी से कुछ पैसा बचा भी सकेंगे। ऐसा नागरिकों के अंदर बिजली बचत की भावना बढ़ाने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि फ्री बिजली देने की नीति में यह देखा गया है कि लोग बिजली की बचत की तरफ ध्यान नहीं देते। उन्हें लगता है कि बिजली मुफ्त मिल रही है, तो उसका चाहे जितना इस्तेमाल करें। इस सोच को बदलने के लिए अब उन्हें बिजली का मूल्य अवश्य देना होगा जो उनके उपभोग की मात्रा से जुड़ा होगा।

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