नई योजना पर वैश्विक सहमति, 2030 तक दुनिया होगी टीबी मुक्त

नई योजना पर वैश्विक सहमति, 2030 तक दुनिया होगी टीबी मुक्त

साल 2030 तक दुनिया को टीबी मुक्त करने के लिए नई योजना पर दुनियाभर के देश सहमत हो गए हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा की उच्च-स्तरीय बैठक में पारित राजनीतिक घोषणापत्र में अगले पांच वर्षों की कार्य योजना तैयार की गई है, जिसका उद्देश्य दुनियाभर से इस बीमारी के दूर करने के लिए किए जा रहे प्रयासों में समग्र रूप से तेजी लाना है।

घोषणापत्र में टीबी (तपेदिक) की रोकथाम व देखभाल सेवाओं को 90 फीसदी लोगों तक पहुंचाने और जो मरीज इस बीमारी से जूझ रहे हैं उन्हें इससे उबरने में आर्थिक-सामाजिक मदद देने का वादा किया गया है। इसके अलावा टीबी की कम से कम एक और नई वैक्सीन को मंजूरी देने का लक्ष्य रखा गया है। टीबी की रोकथाम के लिए अब तक केवल एक ही वैक्सीन उपलब्ध है, जिसे करीब 100 वर्ष पहले तैयार किया गया था।

दुनिया की दूसरी सबसे घातक संक्रामक बीमारी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, टीबी, कोविड-19 के बाद दुनिया की दूसरी सबसे घातक संक्रामक बीमारी है। यह दुनियाभर में होने वाली मौतों का 13वां सबसे बड़ा कारण है। 2021 में करीब 1.06 करोड़ लोग इसकी चपेट में आए और 16 लाख लोगों की मौत हुई। मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट टीबी (एमडीआर) स्वास्थ्य के लिए गंभीर चिंता का विषय बनी हुई है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, 2021 में एमडीआर-टीबी से पीड़ित केवल तीन में से एक ही मरीज को इलाज मिल सका था।

7.4 करोड़ जिंदगियां बचाई गईं
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, 2000 से 2021 के बीच टीबी की रोकथाम के लिए किए जा रहे प्रयासों की मदद से 7.4 करोड़ जिंदगियां बचाई गई हैं। इसके बावजूद अभी भी किए जा रहे प्रयास 2030 के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए काफी नहीं हैं।

भारत में हर साल चार लाख लोगों की मौत
दुनिया के अनुमानित मामलों के एक चौथाई से ज्यादा मरीजों के साथ भारत टीबी रोगियों के मामले में पहले स्थान पर है। यहां हर साल लगभग 25 से 30 लाख टीबी के नए मामले दर्ज किए जाते हैं, जिसमें से करीब एक लाख मामले एमडीआर के होते हैं। भारत में इस बीमारी से हर साल लगभग चार लाख लोगों की मौत होती है और इससे निपटने में सरकार सालाना लगभग 17 लाख करोड़ रुपये खर्च करती है।

Related posts