देश की अर्थव्यवस्था आईसीयू में सरकार इसका इलाज करने में फेल : पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम

नई दिल्ली
पी चिदंबरम

सार

  • वित्त मंत्री के बजट भाषण से अच्छे दिन गायब, सबका विकास का कोई अता पता नहीं
  • सरकार नाकामी मानने को भी तैयार नहीं, पूर्व पीएम मनमोहन से मदद मांगने में आ रही शर्म

विस्तार

राज्यसभा में बजट पर बहस को शुरू करते हुए कांग्रेस नेता व पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने सोमवार को मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, देश की अर्थव्यवस्था आईसीयू में है और सरकार इसका इलाज करने में फेल हुई है। उन्होंने कहा, आर्थिक मंदी से देशभर में हाहाकार मचा हुआ है, अर्थव्यवस्था ध्वस्त होने की कगार पर है लेकिन सरकार को न तो यह संकट सुनाई दे रहा और न ही दिखाई दे रहा।

चिदंबरम ने कहा, आर्थिक मोर्चे पर सरकार का रवैया बेहद लापरवाही वाला रहा है। बजट की ही बात करें तो ‘सबका विकास सबका साथ’ और ‘अच्छे दिन आएंगे’ का नारा लगाने वाली सरकार के बजट में नहीं बताया गया कि आखिर अच्छे दिन कब आएंगे।  हैरानी इस बात की है वित्तमंत्री के 160 मिनट के भाषण में आर्थिक सर्वे के बिंदुओं का कोई जिक्र नहीं है और चुनौतियों से निपटने का कोई रोडमैप नहीं पेश किया गया।

सक्षम डॉक्टरों को सरकार ने किया बाहर

चिदंबरम ने सरकार पर अपनी कामियां छिपाने का आरोप लगाते हुए कहा कि जो डॉक्टर अर्थव्यवस्था को इस मुश्किल दौर से निकालने में सक्षम थे सरकार ने उनको बाहर कर दिया है। बीते चार सालों में पूर्व सीईए अरविंद सुब्रमण्यन, आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन, उर्जित पटेल, नीति आयोग के पूर्व उपाअध्यक्ष अरविंद पनगढिया को सरकार ने बाहर कर दिया है।

ये लोग अर्थव्यवस्था की नब्ज को समझते थे और इसे बचाने में सक्षम थे। उन्होंने कहा, मैं सरकार से पूछना चाहता हूं कि आखिर बीमार अर्थव्यवस्था के लिए उनके डॉक्टर कौन हैं?

नोटबंदी और जीएसटी ने बिगाड़ी अर्थव्यवस्था की सेहत

चिदंबरम ने कहा कि सरकार की नीतियों और कुछ गलत फैसलों के कारण देश की अर्थव्यवस्था की सेहत खराब की है। इनमें नोटबंदी और जीएसटी दो बड़ी चूक हैं। इनकी वजह से लगातार छह तिमाही में आर्थिक वृद्धि में गिरावट हुई है। कृषि में भी महज 2 फीसदी की मामूली वृद्धि हुई है।

जबकि उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति जनवरी 2019 में महज 11 महीने के भीतर 1.9 फीसदी से बढ़कर 7.4 फीसदी हो गइ है। बैंकों के कर्ज में भी 8 फीसदी वृद्धि हुई जिसमें गैर खाद्य कर्ज 7 फीसदी और उद्योग का कर्ज महज 2.7 फीसदी है। औद्योगिक सूचकांक में भी महज 0.6 फीसदी वृद्धि दिखाई गई है।

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