देशभर में फैली 25 हजार करोड़ की जायदाद के लिए की जाली वसीयत तैयार

फरीदकोट

सांकेतिक तस्वीर

महाराजा की मौत के बाद से शाही परिवार की बेशुमार जायदाद की निगरानी ट्रस्ट द्वारा की जा रही थी। इसके बाद राजकुमारी अमृत कौर ने अपने पिता की वसीयत पर सवाल खड़े करते हुए चंडीगढ़ की अदालत में वाद दायर किया था और निचली अदालत ने 25 जुलाई 2013 को फैसला सुनाते हुए जायदाद का हक सभी बेटियों को दिया। इस फैसले के बाद ट्रस्ट ने चंडीगढ़ की जिला अदालत में अपील दायर की थी, जो 5 फरवरी 2018 को खारिज हो गई।

बाद में यह मामला पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में पहुंचा और हाईकोर्ट ने पिछले माह 1 जून 2020 को महाराजा की वसीयत को जाली करार देते हुए शाही परिवार की जायदाद को तीनों बेटियों को सौंपने के आदेश दिए। हाईकोर्ट के फैसले को आधार बनाते हुए राजकुमारी अमृत कौर ने जिला पुलिस के पास अपने पिता की जाली वसीयत तैयार करने के मामले में आपराधिक केस दर्ज करवाने के लिए शिकायत सौंपी।

पुलिस ने जांच के बाद यह केस दर्ज किया है। मालूम हो कि नवंबर 2018 में महारावल खेवा जी ट्रस्ट की चेयरपर्सन और राजकुमारी दीपइंद्र कौर मेहताब का भी निधन हो गया था, जिसके बाद ट्रस्ट में चेयरमैन की जिम्मेदारी उनके बेटे जयचंद मेहताब और वाइस चेयरपर्सन की जिम्मेदारी उनकी बेटी निशा खेर को सौंपी गई। इस मामले में डीएसपी सतविंदर सिंह विर्क ने बताया कि पुलिस ने राजकुमारी अमृत कौर की शिकायत और हाईकोर्ट के फैसले के आधार पर केस दर्ज किया है और मामले में पड़ताल शुरू कर दी गई है।

फरीदकोट रियासती परिवार की देशभर फैली 25 हजार करोड़ की जायदाद से जुड़ा है विवाद
हाईकोर्ट की ओर से वसीयत को जाली करार देने के बाद राजकुमारी अमृत कौर की शिकायत पर केस
आरोपियों में जायदाद की निगरानी कर रहे ट्रस्ट के प्रबंधक व कर्मचारी भी शामिल

फरीदकोट जिला पुलिस ने फरीदकोट रियासत के आखिरी शासक महाराजा हरिंद्र सिंह बराड़ की जाली वसीयत तैयार करने के मामले में महाराजा के नाती-नातिन समेत 23 लोगों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया है।

इनमें जायदाद की देखभाल कर रहे महारावल खेवा जी के मौजूदा चेयरमैन, महाराजा के नाती जयचंद मेहताब, वाइस चेयरपर्सन व महाराजा की नातिन निशा खेर, सीईओ जंगीर सिंह सरां, पूर्व सीईओ और वर्तमान चैयरमेन नगर सुधार ट्रस्ट ललित मोहन गुप्ता समेत ट्रस्ट के लीगल एंड इनकम टैक्स एडवाइजर, वसीयत को पंजीकृत करने वाले व्यक्ति और ट्रस्ट से जुड़े प्रबंधक, सहायक, लेखाकार आदि कर्मचारियों पर धोखाधड़ी, जालसाजी, आपराधिक साजिश की धाराओं में केस दर्ज किया है।
मामला महाराजा हरिंद्र सिंह बराड़ की चंडीगढ़ के सेक्टर 11 में रह रहीं उनकी बेटी राजकुमारी अमृत कौर की शिकायत और पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की ओर से वसीयत को जाली करार दिए पर दर्ज किया गया है। बता दें कि शाही परिवार की देशभर में करीब 25000 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्ति फैली है, जिसको लेकर यह विवाद चल रहा है।
जानकारी के अनुसार रियासत के आखिरी शासक रहे महाराजा हरिंद्र सिंह बराड़ के घर एक बेटे और तीन बेटियों ने जन्म लिया था। उनका 16 अक्टूबर 1989 में निधन हो गया था। उनके निधन के बाद करीबी लोग महाराजा की एक वसीयत सामने लाए और दावा किया कि 13 अक्टूबर 1981 को महाराजा ने अपने इकलौते बेटे हरमहिंदर सिंह की मौत के बाद यह वसीयत लिखी थी, जिसमें उन्होंने लिखा था अगर उनके घर कोई बेटा पैदा हुआ तो वह जायदाद का अकेला वारिस होगा।

अगर ऐसा न हुआ तो उनकी जायदाद की निगरानी महारावल खेवा जी ट्रस्ट करेगा। इस ट्रस्ट के लिए महाराजा ने राजकुमारी दीपइंद्र कौर को चेयरपर्सन और छोटी बेटी महीपइंद्र कौर को वाइस चेयरपर्सन बनाया था, जबकि राजकुमारी अमृत कौर को जायदाद से बेदखल कर दिया था। महाराजा की मौत से पहले 1986 में रानी नरिंद्र कौर की मौत हो गई।

महाराजा की मौत के बाद से शाही परिवार की बेशुमार जायदाद की निगरानी ट्रस्ट द्वारा की जा रही थी। इसके बाद राजकुमारी अमृत कौर ने अपने पिता की वसीयत पर सवाल खड़े करते हुए चंडीगढ़ की अदालत में वाद दायर किया था और निचली अदालत ने 25 जुलाई 2013 को फैसला सुनाते हुए जायदाद का हक सभी बेटियों को दिया। इस फैसले के बाद ट्रस्ट ने चंडीगढ़ की जिला अदालत में अपील दायर की थी, जो 5 फरवरी 2018 को खारिज हो गई।

बाद में यह मामला पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में पहुंचा और हाईकोर्ट ने पिछले माह 1 जून 2020 को महाराजा की वसीयत को जाली करार देते हुए शाही परिवार की जायदाद को तीनों बेटियों को सौंपने के आदेश दिए। हाईकोर्ट के फैसले को आधार बनाते हुए राजकुमारी अमृत कौर ने जिला पुलिस के पास अपने पिता की जाली वसीयत तैयार करने के मामले में आपराधिक केस दर्ज करवाने के लिए शिकायत सौंपी।

पुलिस ने जांच के बाद यह केस दर्ज किया है। मालूम हो कि नवंबर 2018 में महारावल खेवा जी ट्रस्ट की चेयरपर्सन और राजकुमारी दीपइंद्र कौर मेहताब का भी निधन हो गया था, जिसके बाद ट्रस्ट में चेयरमैन की जिम्मेदारी उनके बेटे जयचंद मेहताब और वाइस चेयरपर्सन की जिम्मेदारी उनकी बेटी निशा खेर को सौंपी गई। इस मामले में डीएसपी सतविंदर सिंह विर्क ने बताया कि पुलिस ने राजकुमारी अमृत कौर की शिकायत और हाईकोर्ट के फैसले के आधार पर केस दर्ज किया है और मामले में पड़ताल शुरू कर दी गई है।
फिलहाल कोई गिरफ्तारी नहीं
फरीदकोट रियासत के आखिरी शासक महाराजा हरिंद्र सिंह बराड़ की जाली वसीयत मामले की पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। अभी इस मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। जानकारी के अनुसार रियासत के आखिरी शासक रहे महाराजा हरिंद्र सिंह बराड़ के घर एक बेटे और तीन बेटियों ने जन्म लिया था। उनका 16 अक्टूबर 1989 में निधन हो गया था। इसके बाद उनके करीबी लोग महाराजा की एक वसीयत सामने लाए और दावा किया कि 13 अक्टूबर 1981 को महाराजा ने अपने इकलौते बेटे हरमहिंदर सिंह की मौत के बाद यह वसीयत लिखी थी।

इसमें उन्होंने लिखा था कि अगर उनके घर कोई बेटा पैदा हुआ तो वह जायदाद का अकेला वारिस होगा। अगर ऐसा न हुआ तो उनकी जायदाद की निगरानी महारावल खेवा जी ट्रस्ट करेगा। इस ट्रस्ट के लिए महाराजा ने राजकुमारी दीपइंद्र कौर को चेयरपर्सन और छोटी बेटी महीपइंद्र कौर को वाइस चेयरपर्सन बनाया था। राजकुमारी अमृत कौर को जायदाद से बेदखल कर दिया था। महाराजा की मौत से पहले 1986 में रानी नरिंद्र कौर की मौत हो गई। महाराजा की मौत के बाद से शाही परिवार की बेशुमार जायदाद की निगरानी ट्रस्ट द्वारा की जा रही थी।

राजकुमारी अमृत कौर ने अपने पिता की वसीयत पर सवाल खड़े करते हुए चंडीगढ़ की अदालत में वाद दायर किया था और निचली अदालत ने 25 जुलाई 2013 को फैसला सुनाते हुए जायदाद का हक सभी बेटियों को दिया। इस फैसले के बाद ट्रस्ट ने चंडीगढ़ की जिला अदालत में अपील दायर की थी, जो 5 फरवरी 2018 को खारिज हो गई। बाद में यह मामला पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में पहुंचा और हाईकोर्ट ने पिछले माह 1 जून 2020 को महाराजा की वसीयत को जाली करार देते हुए शाही परिवार की जायदाद को तीनों बेटियों को सौंपने के आदेश दिए। हाईकोर्ट के फैसले को ही आधार बनाते हुए अमृत कौर ने केस दर्ज करवाया है।

मालूम हो कि नवंबर 2018 में महारावल खेवा जी ट्रस्ट की चेयरपर्सन और राजकुमारी दीपइंद्र कौर मेहताब का भी निधन हो गया था, जिसके बाद ट्रस्ट में चेयरमैन की जिम्मेदारी उनके बेटे जयचंद मेहताब और वाइस चेयरपर्सन की जिम्मेदारी उनकी बेटी निशा खेर को सौंपी गई।

अमृत कौर की शिकायत और हाईकोर्ट के फैसले के आधार पर केस दर्ज किया है और मामले में पड़ताल शुरू कर दी गई है। फिलहाल किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया है।
– सतविंदर सिंह विर्क, डीएसपी

 

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