.तो हरीश हिला रहे हैं बहुगुणा की ‘कुर्सी’

कांग्रेस भले ही मुख्यमंत्री परिवर्तन की बात को मीडिया की चर्चा कहे लेकिन बातें अंदर से ही छनकर आ रही हैं। मंगलवार को परिवर्तन की बात भले ही अफवाह थी लेकिन नवंबर तक साकार हो सकती है।

अभी सांसद को सीएम बनाने की स्थिति में कांग्रेस को दो उपचुनावों का सामना करना पड़ेगा। यह कांग्रेस नहीं चाहती। हालांकि विधायक को सीएम बनाने में यह नौबत नहीं आएगी लेकिन पार्टी को दूसरी दिक्कतों से दोचार होना पड़ सकता है।

अध्यक्ष को बदलना भी चुनौती
विधायकों में इंदिरा हृदयेश और गोविंद कुंजवाल का नाम दौड़ में है। इस परिवर्तन से जो गणित बनेगा उसमें अध्यक्ष को बदलना भी चुनौती होगा। नेताओं का मानना है कि इससे मिशन-2014 प्रभावित हो सकता है।

हरीश रावत के मुख्यमंत्री बनने की स्थिति में नवंबर में परिवर्तन से कांग्रेस लोकसभा चुनाव से पहले दो उप चुनाव में जाने से बच जाएगी। अभी परिवर्तन करते हैं तो उप चुनाव, लोकसभा चुनाव से पहले कराने होंगे।

क्योंकि किसी भी गैर विधायक के मुख्यमंत्री बनने की स्थिति में छह महीने के भीतर विधायक चुना जाना जरूरी है। यदि विधायक को यह पद देते है तो उससे भी कलह का खतरा है।

कांग्रेस को हो सकता है नुकसान
इसके अलावा आपदा के बाद उपजी नाराजगी का भी कांग्रेस को नुकसान हो सकता है। एक डर ये है कि यदि उपचुनाव हार गए तो पार्टी की छवि को लोकसभा चुनाव से पहले भारी धक्का लगेगा।

रावत के पक्ष में उनका केंद्रीय मंत्री होना है तो इंदिरा के पक्ष में उनका सबसे तजुर्बेदार और महिला होना है। मुख्यमंत्री परिवर्तन के बाद जो समीकरण बनेंगे उसमें प्रदेश अध्यक्ष बदलना भी कांग्रेस के लिए जरूरी हो जाएगा।

मुख्यमंत्री बदले तो अध्यक्ष भी बदलेगा
बदलाव के बाद संगठन और सरकार दोनों में आला पदों पर कुमाऊं के दिग्गज हो जाएंगे। ऐसे में साफ है कि मुख्यमंत्री बदले तो अध्यक्ष भी बदलेगा। अब ये देखना है कि पार्टी ऐसे में कुमाऊं – गढ़वाल की समीकरण को कैसे बिठाएगी।

जातीय समीकरणों से देखें तो प्रदेश अध्यक्ष पद पर किसी ब्राह्मण की ताजपोशी हो सकती है। हालांकि कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेता इस तरह की खींचतान से इनकार करते हैं। उनका मानना है कि कार्यकर्ता और नेता केवल मिशन 2014 में कांग्रेस की हैट्रिक के लिए काम कर रहे हैं।

कोई खींचतान नहीं मची है : खजान
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता खजान पांडे कहते हैं कि कुछ लोग ऐसा माहौल बना रहे हैं जिससे लग रहा है कि पार्टी में सीएम पद के लिए खींचतान चल रही है जबकि ऐसा कुछ नहीं है।

अभी कांग्रेस का फोकस प्रदेश को आपदा के सदमे से बाहर निकालना है। इस काम में मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, हरीश रावत और पार्टी के सभी कार्यकर्ता एक हैं। इस तरह का माहौल बनाकर पार्टी और रावत की छवि बिगाड़ने का काम किया जा रहा है।

कांग्रेस प्रदेश को आपदा से बाहर निकालने में जुटी है
प्रदेश प्रवक्ता मथुरा दत्त जोशी कहते हैं कि पार्टी में परिवर्तन जैसी कोई बात नहीं है। पार्टी के हर नेता का ध्यान मिशन-2014 पर है। इसके लिए 29 सितंबर को रुद्रपुर में महासम्मेलन भी होने जा रहा है। विरोधियों को कांग्रेस की एकजुटता का अहसास वहां करा दिया जाएगा।

बीजेपी की नैया नहीं बचा पाए थे खंडूरी
विधानसभा चुनाव से पहले नेतृत्व परिवर्तन का खेल भाजपा भी खेल चुकी है। निशंक को बदलकर खंडूरी को इसलिए लाया गया था कि सरकार विरोधी लहर से बचा जा सके। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। अब कांग्रेस को इस तरह के प्रयोग का क्या फायदा मिलेगा यह तो चुनाव के बाद ही साफ होगा।

Related posts