डॉक्टरों के लिए 66.6 फीसदी सीटें निर्धारित, अधिसूचना जारी

डॉक्टरों के लिए 66.6 फीसदी सीटें निर्धारित, अधिसूचना जारी

शिमला
एमडी, एमएस, एमडीएस जैसे पीजी कोर्स करने के लिए अब सेवारत सामान्य ड्यूटी अधिकारी (जीडीओ) कोटे के डॉक्टरों के लिए 66.6 फीसदी सीटें निर्धारित कर दी गई हैं। राज्य सरकार के प्रधान सचिव स्वास्थ्य ने इसकी अधिसूचना जारी कर कोटा तय कर दिया है।

उच्च शिक्षा का अवसर नहीं मिल पाने की वजह से बाहरी राज्यों का रुख करने वाले डॉक्टरों के लिए राहत की खबर आई है। एमडी, एमएस, एमडीएस जैसे पीजी कोर्स करने के लिए अब सेवारत सामान्य ड्यूटी अधिकारी (जीडीओ) कोटे के डॉक्टरों के लिए 66.6 फीसदी सीटें निर्धारित कर दी गई हैं। सीधे परीक्षा देने के लिए यह कोटा अब 33.3 प्रतिशत तय किया गया है। राज्य सरकार के प्रधान सचिव स्वास्थ्य ने इसकी अधिसूचना जारी कर कोटा तय कर दिया है।

अधिसूचना के अनुसार अब जीडीओ कोटे के डॉक्टरों को विशेषज्ञ चिकित्सक बनना आसान होगा। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की कमी भी नहीं होगी। हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2017 में इस कोटे को पूरी तरह बंद कर दिया था। उससे पहले यह 80 फीसदी मिलता था। कोर्ट में लंबी लड़ाई के बाद कई राज्यों में इसे बहाल कर दिया गया था। हिमाचल प्रदेश में भी अब इसे बहाल कर 66.6 फीसदी कर जीडीओ कोटे के अधिकारियों को बड़ी राहत दी गई है। मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन के महासचिव पुष्पेंद्र वर्मा ने बताया कि 2017 से पहले यह कोटा 80 फीसदी था। इसे 90 प्रतिशत किया जा रहा था कि बीच में फिर इसे खत्म कर दिया गया। कोर्ट से राहत मिलने के बाद सरकार ने इसे अधिसूचित किया है।

राष्ट्रीय और राज्य के कोटे में बंटती हैं 50-50 फीसदी सीटें
पीजी करने के लिए राष्ट्रीय और राज्य के कोटे में 50-50 फीसदी सीटें ही बंटती हैं। इनमें राज्य कोटे की 50 फीसदी सीटों में ही यह जीडीओ और डायरेक्ट भर्ती कोटा बंटता है। सीटें बढ़ने के बाद एमबीबीएस करने के बाद डॉक्टर अब हिमाचल प्रदेश के दूरदराज क्षेत्रों के अस्पतालों में नौकरी करने में दिलचस्पी लेंगे और रिक्तियों को भरा जा सकेगा। इससे अपने राज्य में ही जीडीओ डॉक्टर विशेषज्ञ भी बन पाएंगे। डायरेक्ट कोटे के डॉक्टर कई बार पीजी के बाद नौकरी के लिए बाहरी राज्यों का रुख करते रहे हैं।

दो कॉलेजों में होते हैं पीजी कोर्स, अन्य में भी तैयारी
हिमाचल प्रदेश में पीजी कोर्स के लिए करीब 250 सीटें होती हैं। इनमें 50 फीसदी राज्य के पास होती हैं। यहां आईजीएमसी शिमला और टांडा मेडिकल कॉलेज में पीजी होती है। नाहन, मंडी हमीरपुर और चंबा मेडिकल कॉलेज में शुरू करने की योजना है।

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