डाॅक्टरों ने बताया कैसे कोरोना वायरस से मिलेगी निजात, अब तक 13 संक्रमितों को कर चुके हैं ठीक

मेरठ

कोरोना वायरस वैश्विक महामारी की अभी कोई कारगर दवा नहीं बन सकी है लेकिन मेरठ में जैसे ही कोरोना संक्रमित नौ मरीज ठीक हुए तो स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ जनता में भी एक उम्मीद की किरण जागी है। मेरठ की बात करें तो अब तक कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या 64 हो गई है, जबकि इनमें से 13 मरीज ठीक हो गए हैं वहीं एक की मौत हुई है।

ठीक हुए मरीजों के घर लौटने की खुशी जहां देखते ही बनती है वहीं चिकित्सक इसे बड़ी कामयाबी मान रहे हैं। अमर उजाला संवादाता ने मेरठ मेडिकल के वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारियों से बातचीत की और जाना, आखिर किन प्रयासों और ट्रीटमेंट के साथ कोरोना संक्रमित जिंदगी की जंग जीतने में कामयाब हो रहे हैं

मेरठ के मेडिकल काॅलेज में कोविड 19 अस्पताल से 11 अप्रैल को नौ मरीजों को ठीक होने के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई। इसके बाद  बुधवार को भी चार कोरोना संक्रमित मरीज पूरी तरह ठीक हो गए हैं। इन्हें भी जल्द ही अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी। चिकित्सकों का कहना है कि ठीक हुए सभी मरीजों को 14 दिन निगरानी में रखा जाएगा। ठीक हुए मरीजों में शहर के पहले कोरोना पाॅजिटिव के संपर्क में आए हुए लोग हैं।

मेडिकल काॅलेज के प्राचार्य डाॅ. आरसी गुप्ता ने बताया कि हमें बेहत खुशी है कि अब तक 13 कोरोना संक्रमित मरीजों को ठीक किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि आज चार संक्रमित मरीजों के दो-दो टेस्ट निगेटिव आए हैं। हमने ठीक हुए मरीजों से बात की वे मेडिकल स्टाफ, ट्रीटमेंट और व्यवहार से खुश हैं।

याशमीन, अलीशा, मोहम्मद अजहर और मरियम की आज अस्पताल से छुट्टी की जाएगी। ठीक हुए मरीजों को सलाह दी गई है कि वे 14 दिन घर में ही निगरानी में रहेंगे। फिलहाल 27 मरीजों का इलाज चल रहा है, उनकी हालत में सुधार है। दो वेटिंलेटर पर हैं।

कोविड-19 अस्पताल के प्रभारी डॉ. तुंगवीर सिंह आर्य ने बताया कि शुरुआत में दवा और ट्रीटमेंट के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी, हम उस वक्त मरीज को केवल सिस्टमेटिक दवा देते थे, गर्म पानी पिलाते थे।

फिर जानकारी मिली की कोरोना के मरीजों को मलेरिया में दी जाने वाली क्लोरोक्विन, एंटी-रेट्रोवायरल ड्रग, स्वाइन फ्लू में दी जाने वाली टेमीफ्लू व गले की दवा एजिथ्रोमाइसिन का कॉम्बीनेशन मरीजों को देना शुरू किया। जिसका अच्छा असर देखा गया। इसके बाद बाद मरीजों की हालत में तेजी से सुधार हुआ।

डॉ. तुंगवीर सिंह आर्य ने बताया कि कुछ समय बाद मालूम हुआ कि एचआईवी एड्स में दी जाने वाली दवा भी इसमें कारगर है। हमने पहले कोरोना संक्रमित मरीज को इसका डोज दिया, तो तीन चार दिन बाद ही वह स्वस्थ होकर घर चले गए।

कोरोना संक्रमितों को चिकित्सक कैसे माॅटिवेट करते हैं। इस संबंध में डाॅक्टर तुंगवीर आर्य का कहना है कि हम मरीजों को बताते हैं कि दूरी ही इस बीमारी का बचाव है।

हम ठीक हुए मरीजों को एन 95 मास्क देते हैं, जो उन्हें पहनना अनिवार्य है। क्योंकि इससे उनका भी बचाव है और उनका अपना भी। चिकित्कसों के अनुसार ठीक हुए मरीजों की 14 दिन तक निगरानी की जाएगी।

चिकित्सकों का कहना है कि कोरोना से डरें नहीं, बल्कि डाॅक्टर की सलाह मानें और अच्छी डाइट लें, खुद को घर के दूसरे सदस्यों से अलग रखें। यदि घर में धूप आती है तो कुछ देर धूप में जरूर बैठें। खुश रहने की कोशिश करें।

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