टिकट के लिए सांसदों के फर्जी पत्रों से परेशान रेल मंत्रालय ने बदला नियम, उठाया ये कदम

नई दिल्ली
प्रतीकात्मक तस्वीर
  • अब आसान नहीं होगा वीआईपी कोटे से टिकट कंफर्म कराना
  • रेल मंत्रालय ने वीआईपी कोटे के तहत प्रतीक्षा सूची के टिकटों को कंफर्म करने के नियम में किया बदलाव
  • सांसद का पहचान पत्र नंबर, उनके दफ्तर के टेलीफोन नंबर और निजी सहायक के मोबाइल नंबर लिखना जरूरी
रेल टिकट के लिए भेजे जा रहे सांसदों के फर्जी पत्रों से परेशान होकर रेल मंत्रालय ने वीआईपी कोटे के तहत प्रतीक्षा सूची के टिकटों को कंफर्म करने की प्रक्रिया कड़ी कर दी है। मंत्रालय ने अब सांसदों को आधिकारिक लेटरहेड की प्रति भेजने का आग्रह किया है ताकि फर्जी हस्ताक्षर वाले पत्रों की पहचान की जा सके।

रेल मंत्रालय लगभग सभी प्रमुख ट्रेनों में पांच फीसदी कोटा वीआईपी लोगों के लिए रखता है। इनमें केंद्रीय मंत्री, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जज, सांसद, विधायक आदि होते हैं। इन्हें अचानक कहीं जाने के लिए यदि कंफर्म टिकट नहीं मिलता है, तो रेल मंत्रालय से वीआईपी कोटे के तहत कंफर्म कराने का आग्रह करते हैं। वे स्वयं के साथ रिश्तेदारों और परिचितों के लिए भी आग्रह करते रहे हैं।

एक ही सांसद के एक ही दिन में कई-कई आग्रह पत्र मिलने से मंत्रालय परेशान हो गया है। ऐसे पत्रों पर या तो सांसद के हस्ताक्षर नहीं होते या किसी अन्य व्यक्ति के हस्ताक्षर से आग्रह पत्र भेजा जाता है। इसीलिए मंत्रालय ने वीआईपी कोटे के लिए नियम कड़े कर दिए हैं। छह सितंबर को सांसदों को भेजे पत्र में रेल राज्यमंत्री सुरेश अंगडी ने कहा है कि हमने कई बार सांसदों के जाली हस्ताक्षर वाले या फर्जी लेटरहेड पर लिखे पत्र पकड़े हैं।

प्रक्रिया में हुए ये बदलाव

अब सांसदों को अपने आग्रह लेटरहेड हस्ताक्षरों के साथ भेजना होगा। हर पत्र में सांसद का पहचान पत्र नंबर, उनके दफ्तर के टेलीफोन नंबर और निजी सहायक के मोबाइल नंबर लिखना जरूरी होगा। लेटरहेड की एक प्रति रेल मंत्रालय को भेजना जरूरी होगा, ताकि फर्जी लेटरहेड की पहचान हो सके। यदि किसी रिश्तेदार के लिए यह आग्रह कर रहे हैं तो यह भी अपने पत्र में लिखना होगा। जिस व्यक्ति का आरक्षण चाहते हैं, उसके भी सभी विवरण देने होंगे, वह भी विशेष फॉर्मेट में, जिसकी प्रति सभी सांसदों को भेज दी गई है।

करें लेटरहेड की नंबरिंग

रेल राज्यमंत्री ने सांसदों से आग्रह किया है कि वह अपने लेटरहेड की हर महीने नंबरिंग करें, ताकि मंत्रालय द्वारा पूछे जाने पर वह बता सकें कि उनका आग्रह सही है या फर्जी।

रद्द भी हो सकता है आरक्षण

मंत्रालय ने वीआईपी कोटे से किए जा रहे आरक्षण के औचक निरीक्षण के भी संकेत दिए हैं। हर यात्री का मोबाइल नंबर आग्रह पत्र में लिखना जरूरी होगा। यदि यात्री के पास अन्य फोन नंबर मिला तो आरक्षण रद्द भी किया जा सकता है।

Related posts