जिंदगी बचाने के मिशन में जुटी युवाओं की टोली, बचाई कई लोगों की जान

जिंदगी बचाने के मिशन में जुटी युवाओं की टोली, बचाई कई लोगों की जान

गोपेश्वर
गोपेश्वर के युवा व्यापारी अंकोला पुरोहित ने युवाओं की एक ऐसी टीम तैयार की है, जो जिंदगियां बचाने के मिशन में जुटी है। इस टीम में शामिल युवा महज एक फोन पर कहीं भी रक्तदान के लिए पहुंच जाते हैं। यह टीम देशभर में कई लोगों को जान बचा चुकी है। खुद अंकोला 19 साल की उम्र से रक्तदान कर रहे हैं। पिछले 20 साल में वे 200 बार यह पुण्य कर चुके हैं।

जरूरतमंदों को खून उपलब्ध कराने के लिए अंकोला ने वर्ष 2001 में 15 युवाओं की एक टीम बनाई थी। इस टीम को उन्होंने ‘डोनर द हेल्पिंग हैंड’ नाम दिया। आज इस ग्रुप के साथ करीब 1200 युवा जुड़े हुए हैं। अभी तक ग्रुप से जुड़े युवा सैकड़ों लोगों की जिंदगी बचा चुके हैं।

चमोली के साथ ही श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, देहरादून, ऋषिकेश, दिल्ली, मुंबई, चंडीगढ़ में भी डोनर द हेल्पिंग हैंड के सदस्य रक्तदान के लिए आगे रहते हैं। किसी भी अस्पताल में मरीज को खून की आवश्यकता होने पर ग्रुप से जुड़े युवा खून देने पहुंच जाते हैं। जिला अस्पताल में किसी भी अंजान व्यक्ति को खून की जरूरत होती है तो अस्पताल प्रबंधन भी सबसे पहले अंकोला को ही याद करता है। 

अंकोला पुरोहित का कहना है कि उन्हें स्वामी विवेकानंद से दूसरों की मदद करने की प्रेरणा मिली। अंकोला का कहना है कि अपना खून देकर किसी की जिंदगी को बचाने से बढ़ा पुण्य कोई नहीं है। खून देने के बाद मरीज के स्वस्थ होने पर मन को सुकून मिलता है।

एलडीआरएफ के माध्यम से कर रहे आपदा पीड़ितों की मदद
वर्ष 2013 की भीषण आपदा में रुद्रप्रयाग के केदारघाटी के आपदा पीड़ितों के लिए भी अंकोला पुरोहित मददगार साबित हुए। उन्होंने आपदा प्रभावितों की मदद के लिए एलडीआरएफ (लोकल डिजास्टर रिलीफ फोर्स) का गठन किया।

इसमें स्थानीय व्यापारियों व युवाओं का ग्रुप बनाकर आपदा प्रभावितों के लिए रसद, कपड़े और तिरपाल की व्यवस्था कराई गई। पिछले आठ सालों में एलडीआरएफ की ओर से चमोली से लेकर रुद्रप्रयाग जिले के आपदा प्रभावित क्षेत्रों में निर्धन व असहाय लोगों को मदद पहुंचाई गई।

पहाड़ी की संस्कृति के संरक्षण के लिए आए आगे
अंकोला पुरोहित पहाड़ की संस्कृति के संरक्षण के लिए भी आगे आए हैं। प्रतिवर्ष अंकोला के नेतृत्व में चमोली जिले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। जिसमें लोक कलाकारों को मंच प्रदान किया जाता है। वहीं, बच्चों को आत्म निर्भर बनाने के लिए उन्हें निशुल्क ताइक्वांडो प्रशिक्षण की व्यवस्था भी करवाई गई है।

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