चीनी टैरिफ वृद्धि पर भड़के ट्रंप, कहा- चीन से अपना कारोबार समेटें यूएस कंपनियां

वाशिंगटन
डोनाल्ड ट्रंप-शी जिनपिंग
डोनाल्ड ट्रंप-शी जिनपिंग

खास बातें

  • ट्रंप ने कहा, हमें चीन की जरूरत नहीं, तुरंत जवाबी कार्रवाई का लिया संकल्प
  • 250 अरब डॉलर के चीनी उत्पादों पर 25 से बढ़ाकर 30 फीसदी किया शुल्क
  • ट्रंप की घोषणा के साथ ही अमेरिकी बाजार चार घंटे में तीन प्रतिशत तक गिर गया
चीन द्वारा 75 अरब डॉलर (5.4 लाख करोड़ रुपये) के अमेरिकी उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाने के फैसले से राष्ट्रपति ट्रंप भड़क गए हैं। ट्रंप ने न सिर्फ चीन की योजना पर तुरंत जवाबी कार्रवाई का संकल्प लिया बल्कि चीन से अमेरिकी कंपनियों को अपना कारोबार समेटने के आदेश भी जारी किए।

ट्रंप ने कहा है कि हमें चीन की जरूरत नहीं है। ईमानदारी से कहूं तो हम उनके बिना बेहतर रहेंगे। चीन द्वारा अमेरिकी उत्पादों पर बढ़ाए गए टैरिफ को राजनीति से प्रेरित कदम बताते हुए कहा कि अमेरिका एक अक्तूबर से 250 अरब डॉलर के उत्पादों पर आयात शुल्क 25 फीसदी से बढ़ाकर 30 प्रतिशत करेगा। उन्होंने 300 अरब डॉलर के चीनी उत्पादों पर 10 से 15 फीसदी तक की दर से शुल्क बढ़ाए जाने की धमकी भी दी।

ट्रंप ने ट्वीट किया कि अमेरिका ने बेवकूफी में चीन से कारोबार करके अरबों डॉलर गंवा दिए हैं। चीन हमारी बौद्धिक संपदा चुराकर हर साल अरबों डॉलर कमा रहा है और वह इसे जारी रखना चाहता है। लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे, क्योंकि हमें चीन की जरूरत नहीं है।

ट्रंप की इस घोषणा के साथ ही अमेरिकी बाजार चार घंटे में तीन प्रतिशत तक गिर गया। ट्रंप ने चीन में कारोबार कर रही अमेरिकी कंपनियों को कहा, ‘वे तत्काल दूसरे देशों में चीन का विकल्प ढूंढे। यह अमेरिका के लिए मौका है।’ ट्रंप ने इसके साथ ही फेडएक्स, अमेजन, यूपीएस से कहा कि वे चीन से आने वाली फेंटानिल दवा की सभी डिलीवरी बंद कर दें। इस दवा से हर साल एक लाख अमेरिकियों की मौत हो रही है।

दुनिया भर में मंदी का खतरा बढ़ेगा

अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध (ट्रेड वॉर) के चलते अमेरिकी अर्थव्यवस्था की रफ्तार पहले ही सुस्त पड़ चुकी है। अमेरिकी शेयर बाजारों की हालत भी खराब है। यदि चीन-अमेरिका में जारी ट्रेड वॉर ने आगे और पैर पसारे तो दुनिया भर में आर्थिक मंदी का खतरा बढ़ जाएगा। ट्रंप ने खुद चीन के आयात शुल्क वृद्धि का असर अमेरिका पर पड़ता माना लेकिन कहा कि यह लंबा नहीं रहेगा।अमेरिकी चेंबर ऑफ कॉमर्स के क्षेत्रीय अध्यक्ष असीम चावला ने कहा, ‘ट्रंप के कहने पर अगर वाकई अमेरिकन कंपनियां चीन से अपना कारोबार समेटेंगी, तो इसका सीधा फायदा भारत को होगा। वैसे चीन से निकली सभी अमेरिकी कंपनियां भारत नहीं आएंगी।

क्योंकि टेक्सटाइल सेक्टर से जुड़ी कंपनियों के लिए बांग्लादेश, वियतनाम और भारत विकल्प हो सकते हैं। नेचुरल रिसोर्स वाली कंपनियां भी भारत को वरीयता दे सकती हैं। जिस सेक्टर की कंपनियों के लिए जो देश अनुकूल होगा, वे कंपनियां वहां जा सकती हैं। लेकिन ज्यादातर अमेरिकी कंपनियां भारत आ सकती हैं।

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