चारपाइयों में कब तक ढोते रहेंगे मरीज

कुल्लू। मणिकर्ण घाटी के मलाणा और कसोल की पहाड़ियों के बीचोंबीच बसा अति दुर्गम गांव रशोल में अभी तक सड़क नहीं पहुंच पाई है। लोगों ने सरकार से सवाल किया है कि आखिर कब तक वे मरीजों को चारपाइयों पर ढोकर अस्पताल पहुंचाते रहेंगे।
सड़क से मीलों दूर और पहाड़ी के पीछे बसे इस गांव की समस्या को आज तक किसी नहीं जाना। चुनावी बेला में भले ही वोट मांगने नेता यहां आते रहे हों लेकिन जीतने के बाद दर्शन नहीं हो पाते। धार्मिक नगरी मणिकर्ण घाटी की कसोल पंचायत के बाएं छोर में बसे रशोल गांव अभी तक सड़क से नहीं जुड़ पाया है।
ग्रामीण सड़क की सूरत को देखने के लिए लंबे अरसे से बेताब हैं लेकिन लोगों की मांग को राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर अनदेखा ही किया गया। हाल यह है कि गांव अति दुर्गम होने से यहां बीमार लोगों को मजदूरों द्वारा पीठ पर उठाकर सड़क या अस्पताल तक पहुंचाना पड़ता है। खाद्यान्न बी पीठ पर उठाकर ले जाने पड़ते हैं।
ग्रामीण हुकम राम, चेत राम, गोपीचंद और पूरवी देवी ने कहा कि चुनावी बेला के दौरान राजनीतिक दलों के नेताओं को गांव की याद आती है और यहां पहुंचकर दर्जनों वायदे कर जाते हैं। लेकिन चुनाव निपटते ही नेता के दर्शन दुर्लभ हो जाते हैं। अब गांव के लोगों की उम्मीदें कांग्रेस सरकार व विधायक महेश्वर सिंह पर टिकी है कि अब तो उनका गांव सड़क से जुड़ेगा।
कसोल पंचायत के पूर्व प्रधान हुकम राम का कहना है कि गांव से मरीजों को चारपाई से ही अस्पताल पहुंचाना पड़ता है। उनके मुताबिक पंचायत की ओर से कई बार सरकार और प्रशासन से सड़क बनाने की मांग की जा चुकी है लेकिन अभी तक कोई भी पहल नहीं हो सकी। प्रधान ने कहा कि अब उनका भरोसा प्रदेश कांग्रेस सरकार पर टिका है।

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