घर वापसी करेंगे किसान, जानिए ऐतिहासिक आंदोलन में कब क्या हुआ…

घर वापसी करेंगे किसान, जानिए ऐतिहासिक आंदोलन में कब क्या हुआ…

सोनीपत (हरियाणा)

किसानों ने 11 दिसंबर को सुबह नो बजे से घर वापसी का प्लान बनाया है। लड़ाई जीत ली गई है और किसानों के अधिकारों को सुनिश्चित करने और एमएसपी के कानूनी अधिकार को सुरक्षित करने के लिए संघर्ष जारी रहेगा। एसकेएम की घोषणा से धरनास्थल जीत के नारों से गूंज उठा। अब किसान 11 दिसंबर को किसान विजय रैलियां निकालकर जश्न मनाते हुए जुलूस के रूप में घरों के लिए रवाना हो जाएंगे।

एसकेएम ने स्पष्ट किया कि वर्तमान आंदोलन को फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। इतना लंबा आंदोलन आसान नहीं था। इस दौरान किसान ने सभी ऋतुओं में दिन रात बॉर्डर पर रात गुजारी। एसकेएम के अनुसार लखमीपुर खीरी सहित 715 किसानों ने आंदोलन में अपनी जान गंवाई। 378 दिन चले इस आंदोलन में बिंदुवार जानिए बड़ी बातें… 
यूं चला किसानों के संघर्ष का सिलसिला
26 नवंबर को किसान पंजाब से चलकर सोनीपत की सीमा में पहुंचे। उन्हें कुंडली बॉर्डर पर रोका गया तो उन्होंने यहीं पर धरना शुरू कर दिया गया। हालांकि आंदोलन पहले ही शुरू हो गया था। 4 सितंबर, 2020 को सरकार ने संसद में किसान कानूनों संबंधी अध्यादेश पेश किया। 17 सितंबर, 2020 को यह अध्यादेश लोकसभा में पास हो गया। इसके बाद 20 सितंबर, 2020 को राज्यसभा में भी इसे पारित कर दिया। इसके बाद ही देशभर में किसान मुखर होने लगे। 24 सितंबर, 2020 को पंजाब में तीन दिन के लिए रेल रोको आंदोलन शुरू हुआ। वहीं 25 सितंबर, 2020 को ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोऑर्डिनेशन कमेटी की पहल पर देशभर के किसान दिल्ली के लिए निकल पड़े।
28 नवंबर, 2020 को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने किसानों के साथ बातचीत करने का न्योता दिया। किसानों ने उनकी बात मानने से इनकार कर दिया और जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन की बात कही।
29 नवंबर, 2020 को मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों ने किसानों से वादा किया था, लेकिन केवल उनकी सरकार ने वादा पूरा किया। उन्होंने कृषि कानूनों को जायज ठहराने का भरपूर प्रयास किया।
किसानों को दिल्ली के विज्ञान भवन में 1 दिसंबर, 2020 को पहली बार वार्ता के लिए बुलाया गया। उसके बाद 11 दौर की वार्ता हुई मगर दोनों पक्षों के बीच सहमति नहीं बन पाई। 22 जनवरी के बाद से दोनों पक्षों के बीच कोई वार्ता नहीं हुई।
8 दिसंबर, 2020 को किसानों का संघर्ष व्यापक हो गया। कृषि कानूनों के विरोध में किसानों ने भारत बंद बुलाया। अन्य राज्यों के किसानों ने भी भारत बंद को अपना समर्थन दिया। इसके बाद 9 दिसंबर को किसान नेताओं ने कृषि कानूनों में सुधार के केंद्र सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। इसके बाद किसानों ने कृषि कानूनों को वापस न लिए जाने तक धरने की बात कही। 
30 दिसंबर, 2020 को किसानों और केंद्र सरकार के बीच बातचीत हुई। सरकार किसानों को पराली जलाने पर पेनाल्टी और बिजली सुधार बिल 2020 में सुधार के लिए सहमत हुई। इससे पहले 16 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह कृषि कानूनों पर उपजे गतिरोध को देखते हुए एक पैनल बना सकती है, जिसमें किसान और सरकार दोनों के प्रतिनिधि रहेंगे। इसके बाद 31 दिसंबर को किसानों ने सभी धरना स्थलों पर एक दिन की भूख हड़ताल रखी।
 
26 जनवरी को लाल किले की हिंसा से ठिठका आंदोलन
निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार भारी संख्या में किसानों ने ट्रैक्टर पर सवार होकर दिल्ली के लिए कूच किया। मगर इस बीच कुछ कथित किसान लाल किले पर पहुंच गए। हालांकि संयुक्त किसान मोर्चा ने लाल किले की हिंसा से अपना पल्ला झाड़ लिया और बयान जारी किया कि उनका इससे कोई लेना-देना नहीं। मगर इस घटना के बाद आंदोलन एकबारगी ठिठक सा गया।
28 जनवरी को गाजीपुर बॉर्डर पर भाकियू नेता राकेश टिकैत के आंसुओं ने पलटी बाजी
28 जनवरी की शाम को खूब चर्चा चली कि भाकियू नेता राकेश टिकैत गिरफ्तारी दे सकते हैं। मगर रात को वह मीडिया के सामने आए और सत्तापक्ष से जुड़े लोगों पर किसानों पर हमला करने का आरोप लगाते हुए भावुक हो गए। उनकी आंखों से निकले आंसुओं ने काम किया और रातों-रात गाजीपुर बॉर्डर, कुंडली बॉर्डर व टीकरी बॉर्डर पर किसानों की हाजरी बढ़ने लगी। सुबह होते-होते सभी धरनास्थल पर किसानों का जमावड़ा लग गया।
6 फरवरी को आंदोलन कर रहे किसानों ने देशभर में चक्का जाम किया। यह चक्का जाम दोपहर 12 से शाम 3 बजे तक किया गया। 9 फरवरी को पंजाबी अभिनेता और एक्टिविस्ट दीप सिद्धू को गणतंत्र दिवस हिंसा मामले में गिरफ्तार किया।
13 फरवरी को कुंडली बॉर्डर पर 125 एंबुलेंस लाई गई।
5 मार्च को पंजाब विधानसभा ने एक रिजॉल्यूशन पास किया। इसमें उन्होंने तीनों कृषि कानूनों को पंजाब में लागू न होने देने की बात कही। साथ ही एमएसपी की तरह का सिस्टम लागू करने की बात कही। इससे पहले 2 मार्च को शिरोमणि अकाली दल चीफ सुखबीर सिंह बादल व अन्य पार्टी नेताओं को पंजाब विधानसभा का घेराव करने के लिए जाते वक्त गिरफ्तार कर लिया गया। 6 मार्च को दिल्ली बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन के 100 दिन पूरे हो गए।
13 मार्च को कुंडली में हाईवे पर पक्के निर्माण करने पर किसानों पर मुकदमा दर्ज हुआ।
10 अप्रैल को केएमपी-केजीपी को 24 घंटे जाम रखा। जिसमें 1200 अज्ञात किसानों पर मुकदमा दर्ज हुआ।
10 मई को कुंडली में राष्ट्रीय किसान सेमिनार आयोजित किया गया।
26 मई को किसानों ने काला दिवस के रूप में मनाया और सरकार का पुतला दहन किया।
5 जून को किसानों ने संपूर्ण क्रांतिकारी दिवस के रूप में मनाने का एलान किया। किसानों ने दिल्ली तक मार्च किया। संयुक्त किसान मोर्चा ने दावा किया कि किसानों को विभिन्न राज्यों में रोका गया।
7 जून को मुकदमे दर्ज करने के खिलाफ थानों का घेराव किया गया
22 जुलाई से 9 अगस्त तक दिल्ली के जंतर-मंतर पहुंचकर समानांतर किसान संसद लगाई। रोजाना 200 किसान कुंडली बॉर्डर से बसों में सवार होकर जंतर मंतर पहुंचे। इसमें 26 जुलाई और 9 अगस्त को महिला किसान संसद का आयोजन किया गया।
7 अगस्त को विपक्ष के 14 नेताओं से सदन में मुलाकात की। इसके बाद इन सभी ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर चल रहे किसान संसद में जाने का फैसला किया। 28 अगस्त को हरियाणा के करनाल में किसानों के ऊपर लाठीचार्ज हुआ और कई किसान घायल हुए।
26-27 अगस्त को अखिल भारतीय किसान अधिवेशन का आयोजन किया गया।
7 से 9 सितंबर के बीच किसान करनाल पहुंचे। 11 सितंबर को किसान और करनाल जिला प्रशासन के बीच गतिरोध खत्म हुआ। 
24 सितंबर को कबड्डी प्रतियोगिता कराई, जिसमें विदेश से भी टीम पहुंची।
27 सितंबर को भारत बंद रखा।
4 अक्तूबर को लखीमपुर खीरी प्रकरण को लेकर किसानों ने डीसी-एसडीएम कार्यालयों पर प्रदर्शन किया।
4 अक्तूबर को लखीमपुर खीरी प्रकरण में यूपी गए भाकियू नेता गुरनाम सिंह चढूनी की गिरफ्तारी के विरोध में हाईवे जाम किए गए। रिहाई के बाद जाम खोला।
15 अक्तूबर को दशहरे के दिन पंजाब के लखबीर सिंह की नृशंस हत्या हुई।
संयुक्त किसान मोर्चा ने 18 अक्तूबर को देशभर में रेल रोको अभियान चलाकर सरकार का विरोध किया। 26 अक्तूबर को लखनऊ महारैली में छिटपुट घटनाएं हुई।
27 अक्तूबर को निहंगों ने पंचायत कर आंदोलन में शामिल रहने की घोषणा की
दिखी आशा की किरण, मोर्चा खाली करने तक बनी बात  
19 नवंबर को सुबह 9 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम संबोधन में कृषि कानून वापस लेने की घोषणा कर दी।
24 नवंबर को कृषि कानून वापसी का बिल मंत्रिमंडल ने पास किया
26 नवंबर को किसानों ने कुंडली बॉर्डर पर एक साल पूरा होने पर जश्न मनाया
27 नवंबर को बैठक कर 29 नवंबर के ट्रैक्टर मार्च को टाल दिया गया। टेबल पर आकर बातचीत की बात कही। 
29 नवंबर संसद में तीन कृषि कानून वापसी पर लगी मुहर।
30 नवंबर को एमएसपी कमेटी के लिए पांच किसान नेताओं के नाम मांगे गए।
1 दिसंबर को एसकेएम हरियाणा ने अलग से बैठक कर दो अन्य डिमांड जोड़ी।
4 दिसंबर को एसकेएम की बैठक में 5 सदस्यों के नाम तय किए गए। साथ ही आंदोलन जारी रखने की घोषणा हुई।
6 दिसंबर को किसानों ने बातचीत के लिए न बुलाने व स्थिति साफ न करने पर दी दिल्ली कूच की चेतावनी।
7 दिसंबर को केंद्र ने छह सूत्री प्रस्ताव भेजा, पांच सदस्यों से गुप्त बैठक की। किसानों ने तीन मांगों में संशोधन की डिमांड भेजी।
8 दिसंबर को संशोधित प्रस्ताव किसानों के पास भेजा गया। जिसमें आधिकारिक पत्र के रूप में भेजने की मांग की गई।
9 दिसंबर को सुबह किसानों के पास आधिकारिक पत्र आया। जिसके बाद एसकेएम ने बैठक कर आंदोलन स्थगित करने व मोर्चे हटाने की बड़ी घोषणा कर दी।

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