गुरुजी हत्याकांडः गंवई राजनीति की ओर इशारा

जौनपुर। सरपतहां थाने के ऊंचगांव में 15 नवंबर की सुबह रमेश तिवारी उर्फ गुरुजी की हत्या के कारण भले ही डीआईजी ने नहीं बताए लेकिन षडयंत्रकारियों के खुलासे से साफ है कि घटना के पीछे गंवई राजनीति ही है। पुलिस जिसे घटना का मुख्य सूत्रधार बता रही उसका प्रधानी के चुनाव से सीधा संबंध रहा। षडयंत्र के आठ आरोपियों में से चार आरोपी गुरुजी के खास सहयोगी रहे विजय सिंह के घर के बाहर बम फेंके जाने की घटना में आरोपी हैं। डीआईजी ए सतीश गणेश ने साफ कर दिया कि हत्या के तार सीधे गांव से ही जुड़े हैं। इसी के साथ यह भी साफ हो गया कि घटना के क्या कारण रहे। शूटरों की गिरफ्तारी के बाद घटना का कारण गांव की पुरानी रंजिश ही घोषित की जाएगी।
बता दें कि घटना के साजिशकर्ताओं में शामिल झारखंड़ी सिंह पंचायत चुनाव में ग्राम प्रधान पद के प्रत्याशी रहे। रमेश तिवारी के पिता राजेंद्र प्रसाद तिवारी चुनाव जीत गए थे। इसको लेकर दोनों के बीच कई दौर झंझट भी हुआ। पिछले दिनों गुरुजी के सहयोगी रहे विजय सिंह के दरवाजे पर बम फेंका गया था। इसमें पुलिस ने 17 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। पुलिस की षडयंत्रकारियों की सूची में शामिल बचई उपाध्याय, अमित उर्फ पंडित, तन्नू सिंह तथा वीरेंद्र बहादुर सिंह उर्फ दाढ़ी भी बमबाजी की घटना में नामजद थे। यह बातें भी देर सबेर सामने आएंगी। गांव में चकरोड का विवाद, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय के ठेके को लेकर विवाद भी घटना के कारणों में शामिल किया जा सकता है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक शूटरों में एक सरायख्वाजा थाना क्षेत्र का तथा दूसरा आजमगढ़ के पवई इलाके का निवासी है। पुलिस इन दोनों का सुराग लगा रही है। यह साफ नहीं हो पाया कि शूटरों तक षडयंत्र के आरोपी किसके जरिए पहुंचे। इस नाते कि षडयंत्र के आरोपियों का अपना कोई अपराधिक रिकार्ड नहीं है। षडयंत्र के आरोपी घोषित किए गए आठ लोगों में से पांच ऊंचगांव के, दो जमौली के तथा एक अखंडनगर थाने के भीटी अमारी गांव का निवासी है। घटना गांव की राजनीति के चलते ही हुई।

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