गांव आने का आश्वासन दिया और भूल गए डीएम

उत्तरकाशी। सड़क से 18 किमी दुर्गम पैदल दूरी पर टेंटों में सर्द रातें काट रहे पिलंग गांव के आपदा पीड़ित एक माह से डीएम की राह देख रहे हैं, लेकिन न तो डीएम प्रभावितों का हाल जानने गांव पहुंचे और न समस्याओं का निदान हो पाया। मनरेगा के तहत गांव के दो किलोमीटर ध्वस्त रास्ते को कामचलाऊ तैयार तो किया गया, लेकिन यह काम करने वाले ग्रामीणों को मजदूरी तक नहीं मिली। प्रभावितों को अभी तक मुआवजा भी नहीं मिला है।
आपदा के साढ़े चार माह बाद भी शासन-प्रशासन से कोई मदद न मिलने पर अक्तूबर माह में पिलंग गांव के बाढ़ पीड़ित गंगोत्री के पूर्व विधायक गोपाल रावत के नेतृत्व में डीएम से मिले थे। डीएम डा. पंकज पांडेय ने जल्द गांव पहुंचकर प्रभावितों का हाल जानने और समस्याओं के निराकरण का भरोसा दिलाया था, लेकिन वह नहीं आए। बाढ़ में घर गवां चुके इस गांव के 35 परिवार राहत में मिले टेंटों में सर्द रातें गुजारने को मजबूर हैं। उन्हें अभी तक नुकसान का मुआवजा भी नहीं मिला है। बाढ़ में बहे दो पुलों के निर्माण की प्रक्रिया अभी तक शुरू नहीं हो पाई है। ग्रामीण शासन-प्रशासन के उपेक्षित रवैये हैरान परेशान हैं।

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त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव तैयारी के कारण गांव जाने का समय नहीं मिला। गांव के रास्ते दुरुस्त करने के लिए जिला पंचायत को निर्देश दिए गए हैं। जून 2013 में आपदा के सभी प्रभावितों को मुआवजा बांटा जा चुका है। बीते साल के प्रभावितों को इस बार राहत का प्राविधान नहीं है। यदि पिलंग गांव के प्रभावितों को मुआवजा नहीं मिला तो इसे दिखवाया जाएगा। – डा. पंकज पांडेय, डीएम उत्तरकाशी।

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डीएम साहब ने एक माह पूर्व गांव का आने का आश्वासन दिया था। ग्रामीणों को उम्मीद थी कि धरातल पर दिक्कतें देखने के बाद वे समाधान करेंगे, लेकिन अभी तक पटवारी के अलावा किसी बड़े अधिकारी ने गांव पहुंचकर ग्रामीणों के हाल जानने की सुध नहीं ली।
– बचन सिंह राणा निवासी पिलंग गांव।

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प्रशासन ने मनरेगा के तहत गांव के पैदल रास्ते को कामचलाऊ ढंग से तैयार तो कराया है, लेकिन इसमें मजदूरी करने वाले 24 ग्रामीणों को अभी तक मजदूरी नहीं दी गई है। प्रशासन शीघ्र मजदूरी भुगतान के साथ ही आपदा में उपजी समस्याओं का निस्तारण करे। – चंदन सिंह, निवर्तमान प्रधान पिलंग गांव।

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