गरीबों के मकानों में धांधली पर केन्द्र व राज्य सरकार को हाईकोर्ट का नोटिस

लुधियाना: गरीबों के लिए मकानों के निर्माण में धांधली के आरोपों की जांच न होने को लेकर लगी अवमानना याचिका पर हाईकोर्ट ने केन्द्र व राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। कुलदीप खैरा ने मामला उठाया था कि ज्वाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन की बेसिक सर्विस-टु अर्बन पुअर स्कीम के तहत सरकारी जगह पर झुग्गियां बनाकर बैठे लोगों के लिए बन रहे फ्लैटों में नियमों का पालन नहीं हो रहा। इसमें सबसे बड़ा मामला फर्जी सोलवेंसी सर्टीफिकेटों को आधार बनाकर टैंडर अलाट करने का है। इसके बाद ठेकेदारों को मंजुरशुदा ब्रांड के बिना लगाए सामान की एवज में बिल लिए बगैर पेमेंट कर दी गई।

खैरा के मुताबिक इस मामले को लेकर स्थानीय प्रशासन व लोकल बाडीज विभाग को उन्होंने कई पत्र लिखे, जिसमें केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय की ओर से कार्रवाई के निर्देश देने पर भी कुछ नहीं हुआ। तब उन्हें हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी। जहां से पिछले साल अक्तुबर में सरकार को आरोपों की जांच करके 2 माह में कार्रवाई के आदेश मिले। लेकिन फिर कुछ नहीं हुआ।

इन पहलुओं को आधार बनाकर अब फिर लगाई अवमानना याचिका पर हाईकोर्ट ने केन्द्रीय अर्बन डिवेल्पमेंट मंत्रालय के सेक्रेटरी, जे.एन.एन.यू.आर.एम. के डायरैक्टर व स्थानीय निकाय विभाग पंजाब के प्रिंसीपल सेक्रेटरी को नोटिस जारी कर जबाब मांगा है। खैरा ने बताया कि मामले की अगली सुनवाई के दौरान वह डेढ़ साल के लक्ष्य के उल्ट 4 साल में भी फ्लैटों का निर्माण पुरा न होने के अलावा डी.पी.आर. में दर्ज लागत का आंकड़ा दोगुना होने का मामला भी अदालत में उठाएंगे। ताकि टैंडर लगाने व वर्क आर्डर जारी करने में हुई देरी कारण जनता के पैसे की बर्बादी के जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई हो सके। इसका बोझ 10 फीसदी के रूप में फ्लैट लेने वाले लोगों पर पड़ेगा, जबकि देरी के लिए ठेकेदारों पर कोई जुर्माना नहीं लगाया जा रहा।

इसी बीच सरकार द्वारा 15 अगस्त को 16 सौ फ्लैटों की चाबियां आवेदनकर्ताओं को सौंपने की घोषणा के बाद जनरल हाऊस की मीटिंग में कांग्रेसी पार्षदों ने इसे चुनावी स्टंट बताया, तो बाकी दलों के पार्षदों ने अलाटमेंट की प्रक्रिया में पारदॢशता यकीनी बनाने पर जोर दिया। इससे पहले विधानसभा की एस्टीमेट कमेटी निर्देश दे चुकी है कि बायोमीट्रिक सर्वे के तहत बनाई सूची में शामिल लोगों की फिर से मौके पर रहने बारे शिनाख्त की जाए और अलाटमेंट लैटर में मकान को बेचने व किराए पर देने से रोक लगाने का प्रावधान खास तौर पर शामिल हो। जिस प्रक्रिया के तहत ही कई लोगों के सालों तक फ्लैटों का इंतजार करने के बाद शहर छोड़कर जाने का खुलासा हुआ है।

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