इन दिनों उद्योग अपने पास स्टॉक कच्चे माल से ही काम चला रहे हैं। आने वाले समय में बीपी, शुगर, हार्ट, कैंसर समेत जीवनरक्षक दवाओं की बाजार में किल्लत हो सकती है। सूबे में करीब 750 फार्मा उद्योग हैं। यहां सालाना 30 हजार करोड़ का कारोबार होता है, जिसमें 15 हजार करोड़ की दवाओं का निर्यात किया जाता है। देश में दवा कंपनियों सहित बल्क ड्रग डीलरों के पास एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रेटिएंट (एपीआई) का नाममात्र स्टॉक बचा हुआ है। मौजूदा समय में चीन से 67 तरह के एपीआई की आपूर्ति होती है।
अब यूरोप विकल्प, महंगे कच्चे माल से बढ़ सकते हैं दाम
चीन से आपूर्ति न होने से फार्मा उद्योगों को संकट से जूझना पड़ेगा। यूरोप से कच्चा माल आयात किया तो दवाओं के दामों में भी वृद्धि होगी। 20 फीसदी स्टॉक कम हो गया है जो प्रतिदिन बढ़ता ही जाएगा। हिमाचल दवा निर्माता संघ के अध्यक्ष डा. राजेश गुप्ता ने केंद्र के समक्ष बल्क ड्रग एपीआई की आपूर्ति के ज्वलंत मुद्दे को उठाया है।