कोरोना के खिलाफ जंग में शामिल होने की अपील, प्लाज्मा बैंक की पहली महिला डोनर बनीं डॉ. अमृता

नई दिल्ली

डॉ. अमृता दुआ

राजधानी के आईएलबीएस में देश का पहला प्लाज्मा बैंक शुरू किया गया है। यहां दान करने वाले प्लाज्मा को कोरोना मरीजों के अंदर चढ़ाया जाता है, जिससे उनमें कोरोना से लड़ने की शक्ति काफी हद तक मजबूत होती है। कुछ दिन पहले कोरोना संक्रमण को मात दे चुकीं एलएनजेपी की सर्जन भी बैंक में प्लाज्मा दान कर चुकी हैं। वह इस बैंक की पहली महिला डोनर हैं।

मूल रूप से राजस्थान की रहने वाली डॉ. अमृता दुआ एलएनजेपी अस्पताल में सर्जन हैं और 30 मई के आसपास वह कोरोना संक्रमित हो गई थीं। फिलहाल वह ठीक हो चुकी हैं और अस्पताल में लगातार मरीजों की देखभाल कर रही हैं।
उन्होंने बताया कि प्लाज्मा बैंक से उनके पास कॉल की गई थी कि वह चाहें तो प्लाज्मा दान कर सकती हैं। इसके बाद तीन जुलाई को उन्होंने प्लाज्मा दान किया। बैंक की ओर से ही उन्हें ले जाने और छोड़ने की व्यवस्था की गई थी। उन्होंने अपील की है कि अन्य महिलाएं भी कोरोना के खिलाफ जंग में शामिल हों।
उधर, रोहिणी निवासी भूमिका कोहली (20) ने बताया कि 30 मई को उनमें भी कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई थी। उनके भाई अर्पित कोहली को 25 मई को संक्रमण का पता चला था। इलाज के बाद दोनों भाई-बहन ठीक हो गए थे। रविवार को दोनों ने आईएलबीएस में प्लाज्मा दान किया। भूमिका ने कहा कि उन्हें घर से ले जाने और छोड़ने की सुविधा दी गई।

दान करने के बाद डॉक्टरों ने उन्हें प्रशस्ति पत्र दिया और अन्य लोगों को प्रेरित करने के लिए उनका वीडियो संदेश रिकॉर्ड किया। भूमिका ने अपनी दोस्त सृष्टि को भी प्लाज्मा दान के लिए प्रेरित किया, जो कोविड-19 से संक्रमित होने के बाद ठीक हो चुकी है।

106 साल के बुजुर्ग ने कोरोना से जीती जंग
राजधानी में 106 साल के एक बुजुर्ग ने कोरोना को मात दी है। वह शाहदरा के राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में भर्ती थे। इलाज के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। वह दिल्ली के पहले मरीज हैं, जिन्होंने इसी तरह की महामारी स्पेनिश फ्लू का 1918 में सामना किया था।

राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के चिकित्सकों के अनुसार सौ वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति का कोरोना संक्रमण से तेजी से ठीक होना आश्चर्य का कारण है। कोरोना वायरस से ठीक होने के बाद अस्पताल से उनकी पत्नी, बेटे और परिवार के अन्य सदस्यों को भी छुट्टी दी जा चुकी है।

बेटे से भी जल्दी ठीक हुए
अस्पताल के एक वरिष्ठ चिकित्सक ने कहा कि ये बुुजुर्ग दिल्ली में कोविड-19 के पहले मरीज हैं, जिन्होंने इसी तरह की महामारी स्पेनिश फ्लू का 1918 में भी सामना किया था। वह न केवल कोविड-19 से ठीक हुए बल्कि अपने बेटे से भी तेजी से ठीक हुए। बेटे की उम्र भी 70 साल है।

 

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