कैसे होंगे बलदेव की बिटिया के हाथ पीले

धर्मशाला। आशापुरी बस हादसे में जान गंवा चुके चालक बलदेव परमार की बिटिया की शादी अप्रैल माह में है। लेकिन शादी के पूरे खर्च का दारोमदार उसके दादा के कंधों पर आ गया है। ग्रामीणों ने बताया कि इतना समय बीत जाने के बावजूद मृतक चालक की न तो पेंशन और न ही ग्रेच्युटी का पैसा प्रभावित परिवार को मिला है। उन्होंने विभाग पर इस मामले में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। ये दर्द अकेले बलदेव के परिवार का नहीं, बल्कि हादसे में मारे गए लोगों के हर परिजन का है।
10 सितंबर का वो मनहूस दिन…किसी ने बेटा खो दिया, किसी ने पति तो कुछ ऐसे हैं जिनका कोई भी नहीं रहा। जवान बच्चों की चिता को अपने हाथों से मुखाग्नि देने का दर्द क्या होता है, यह कोई आशापुरी हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों से पूछे। लगभग छह माह बीतने के बावजूद आशापुरी हादसे के प्रभावितों की उपेक्षा और ग्रामीणों के सवालाें ने इस दुर्घटना की जांच रिपोर्ट को कठघरे में खड़ा कर दिया है। बेशक हादसे की न्यायिक रिपोर्ट सरकार को सौंप दी गई है, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि बस पहले से ही तकनीकी रूप से फिट नहीं थी। इसे लेकर हादसे में मारे गए चालक की निगम के प्रबंधकों से बात भी हुई थी। शुक्रवार को ग्रामीणों ने उपायुक्त कार्यालय का घेराव करते हुए डीसी से उक्त हादसे की फिर से सख्त जांच कराने की मांग की।
धर्मशाला पहुंचे दर्जनों प्रभावित परिवारों के सदस्य नरेश कुमार, जगत राम, लेख राज, सुभाष चंद, संतोष कुमारी, अनीता देवी, मनसा देवी, जोगिंद्रो देवी, रणजीत सिंह, ओंकार चंद, विजय कुमार, शक्ति चंद, कंचन परमार, अवतार सिंह, कर्म चंद, तृप्ता देवी, सुषमा देवी, अदिति परमार, वंदना देवी, मीनाक्षी देवी अंजनी देवी, कांता देवी, रानी देवी, जोगिंद्र सिंह और विजय कुमार का कहना है कि हादसे के लिए निगम के अधिकारी जिम्मेवार हैं। उन्होंने इस घटना की फिर से जांच की मांग की है। प्रभावितों ने आरोप लगाया कि इतना बड़ा हादसा हो जाने के बावजूद सरकार उनकी सुध नहीं ले रही। ग्रामीणों ने प्रभावित परिवारों में से किए एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी की मांग प्रशासन से की। उधर, उपायुक्त सी पालरासू का कहना है कि मामला सरकार के समक्ष रखा जाएगा।

कहां है ट्रस्ट का पैसा
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि इस हादसे के प्रभावितों के लिए दानी सज्जनों ने कुछ अंशदान किया, जिसका ट्रस्ट बनाकर गांव के दो व्यक्तियों को प्रबंधन का जिम्मा सौंपा है। लेकिन आज तक वह पैसा प्रभावितों तक नहीं पहुंचा। ग्रामीणों ने उक्त ट्रस्ट को भंग कर दान का पैसा प्रभावितों में वितरित करने की मांग की है।

इधर नानी के कंधों पर आ गया भार
आशापुरी हादसे में मारे एक दंपति के दो बच्चों के पालन पोषण का सारा भार नानी के कंधों पर आन पड़ा है। वयोवृद्घ मनसा देवी का कहना है कि उनकी बेटी और दामाद दोनों की इस हादसे में मौत हो गई। लिहाजा बच्चों मधु और मुनीश को वही पाल रही हैं।

34 लोगों की हुई थी मौत
बीते वर्ष 10 सितंबर को पेश आए आशापुरी हादसे में 34 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें 5 लोग गंभीर रूप से घायल हुए। एसडीएम जयसिंहपुर द्वारा की गई न्यायिक जांच के बाद रिपोर्ट में कहा गया है कि तीखे मोड़ पर चालक की सीट खिसकने से यह हादसा घटा। जबकि ग्रामीणों का आरोप है कि करीब 15 लाख किलोमीटर चल चुकी यह बस पहले से ही खराब हालत में थी।

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