कैंसर, मधुमेह का इलाज घर के पास मिलेगा, पीएचसी पर निशुल्क जांच और चिकित्सा की योजना

कैंसर, मधुमेह का इलाज घर के पास मिलेगा, पीएचसी पर निशुल्क जांच और चिकित्सा की योजना

गैर संचारी रोगों के खिलाफ जमीनी स्तर पर अपनी लड़ाई को मजबूती देने के लिए सरकार जल्द ही नई योजना लागू कर सकती है। यह योजना देश के 30 हजार से भी ज्यादा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) पर लागू होगी, जिसमें स्थानीय लोगों को कैंसर, मधुमेह और ब्रेन स्ट्रोक जैसी बीमारियों की निशुल्क जांच, दवाएं और प्रारंभिक उपचार उपलब्ध होगा। इससे इन बीमारियों का उपचार घर के पास ही मिल सकेगा।

सरकार ने इसकी जिम्मेदारी भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (आईसीएमआर) नई दिल्ली को जिम्मेदारी सौंपी है। आईसीएमआर पहले शोध करेगा और फिर उसके परिणामों के आधार पर योजना तैयार करेगा। आईसीएमआर ने 16 जून को देशभर के शोध संस्थानों को पत्र लिखकर सहयोग भी मांगा है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के अनुसार, देश के सामान्य क्षेत्रों में 30 हजार की आबादी पर एक और दुर्गम क्षेत्रों में 20 हजार की आबादी पर एक पीएचसी है। इस तरह 30,813 पीएचसी संचालित हैं। यह केंद्र देश के स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए रीढ़ के समान हैं।

कुछ बीमारियों की निशुल्क निगरानी भी
2013 में लागू राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। मिशन के तहत मधुमेह, उच्च रक्तचाप और कैंसर की जनसंख्या आधारित निगरानी शुरू की गई है। यह सुविधा देश के 1.50 लाख से ज्यादा आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में भी है।

छोटे शहरों में उपचार की पहुंच सीमित
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, गैर संचारी रोगों का दायरा काफी तेजी से बढ़ा है। हाल ही में मधुमेह को लेकर सामने आए अध्ययन में 11% आबादी रोगी पाई गई। हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक के मामले भी आए दिन सामने आ रहे हैं। बड़े शहरों में इन बीमारियों का इलाज है, लेकिन छोटे शहरों तक इसकी पहुंच काफी सीमित है।

उच्च रक्तचाप नियंत्रण की पहल उदाहरण
शोध संस्थानों को लिखे पत्र में आईसीएमआर ने कहा कि पीएचसी को लेकर एक उदाहरण भारत उच्च रक्तचाप नियंत्रण पहल है, जिसे साल 2018 में लागू किया गया। अब तक देश के 140 से भी ज्यादा जिलों के पीएचसी पर लोगों में बीमारी की पहचान और उपचार किया जा रहा है। इस पहल में विश्व स्वास्थ्य संगठन से भी सहयोग मिल रहा है। इसी तरह की पहल गैर संचारी रोगों को लेकर भी लागू की जा सकती है।

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