केदारनाथः मंदिर परिसर के पास अभी भी पड़े हैं शव

बर्फ से ढक गई केदारघाटी में आपदा के दौरान मलबे में दबी लाशों ने उत्तराखंड की राजनीति को गरम कर दिया है। यह सच है आपदा के पांच महीने बाद भी न जाने कितने लोगों की लाशें अभी भी मलबे में दबी हैं।

नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट ने दिखाई तस्वीरें
जिन्हें अपनों ने गुमशुदा मान लिया है। इन लावारिस पड़ी लाशों का अब शायद ही अंतिम संस्कार हो सकेगा। नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट ने शुक्रवार को मीडिया के सामने अभी हाल की कुछ तस्वीरें दिखाकर सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। हालांकि मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा भी लाशों के दबे होने की बात स्वीकार रहे हैं।

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उनका कहना है कि ज्योलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने मलबा हटाने के लिए मना किया है। केदारघाटी से लौटे अजय भट्ट का कहना है कि उनके पास न सिर्फ फोटोग्राफ हैं बल्कि उन्होंने वहां की सही तस्वीर दिखाने के लिए वीडियो फिल्म भी बनवाई है जो सच्चाई बताने के लिए काफी है।

झूठा साबित हुआ तो राजनीति से संन्यास ले लूंगा
उन्होंने बताया कि केदारनाथ में ही मंदिर परिसर के आसपास जमीनी सतह पर शव दिखाई दे रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार यदि इन तस्‍वीरों को झूठी साबित कर दें तो मैं राजनीति से संन्यास ले लूंगा। अजय भट्ट ने कहा कि 23 से 31 अक्टूबर तक उन्होंने चार धाम यात्रा कर वास्तविक स्थिति जानने की कोशिश की।

इसके बाद सरकार को मौखिक और लिखित रूप से अवगत कराया लेकिन सरकार हद दर्जे की लापरवाही कर रही है। मंदिर परिसर के अंदर ही जमीन की सतह पर मलबे में दबे शव हैं। उन्होंने कहा कि मैं पैदल केदारनाथ गया जहां देखा कि मंदिर के पास आवासीय क्षेत्र में मकानों के मलबे में कई शव साफ दिखाई पड़ रहे हैं। जिनमें कीड़े पड़ गए हैं।

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कई शवों के कंकाल बन गए हैं। और सरकार कह रही है कि चप्पा चप्पा देख लिया गया अब डेडबॉडी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जंगल चट्टी व गरुड़ चट्टी से लेकर केदारनाथ तक पूरे मंदिर परिसर में सर्च ऑपरेशन चलाए जाने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि तीर्थ पुरोहितों व धर्मशालाओं के मलबे में दबे शवों को निकालकर क्यों दाह संस्कार नहीं किया गया, सरकार को इसका जवाब देना चाहिए। उन्होंने कहा कि बदरीनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम भी खतरे में हैं।

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