कुल्लू में स्टांप पेपरों की कालाबाजारी

कुल्लू। स्टांप पेपरों का टोटा होने से परेशान लोग जहां महंगे स्टांप पेपर खरीदने को मजबूर हैं वहीं कुछ लोग स्टांप पेपरों की कालाबाजारी में जुटे हैं। लोगों को एफिडेविट तथा एग्रीमेंट बनाने के साथ लाइसेंस सहित अन्य कार्याें में लगने वाले पांच, दस तथा बीस रुपये के स्टांप पेपर की जगह 100 रुपये के स्टांप पेपर से काम चलाना पड़ रहा है। महंगे स्टांप पेपरों से परेशान लोगों को अब तय स्टांप पेपर के रेट से अतिरिक्त पैसे देने पड़ रहे हैं। जिला कुल्लू में कुछ लोग 20 रुपये के स्टांप के 25, 50 के 60 तथा 100 रुपये के स्टांप पेपर को 110 रुपये में बेच रहे हैं। इन दिनों स्टांप पेपरों का टोटा चलने से यह धंधा खूब चल रहा है।
कुल्लू जिला ही नहीं बल्कि कुछ अन्य क्षेत्रों में भी यह गोरखधंधा जोरों पर है। सरकारी ठेकेदार के लाइसेंस का नवीनीकरण करने आए मंगलौर पंचायत के पूर्व प्रधान चुनी लाल तथा तेजा सिंह ने कहा कि उनके नवीनीकरण में पांच रुपये का स्टांप पेपर लगना था। लेकिन पांच और दस रुपये के स्टांप पेपर नहीं मिलने पर उन्हें 20 रुपये के स्टांप पेपर के 25 रुपये देने पड़े हैं। आनी के मेहर चंद ने कहा कि उनसे 100 रुपये के स्टांप पेपर के 110 रुपये वसूले गए। एफिडेविट बनाने आए खूब राम, राम सिंह तथा देव राज ने कहा कि उन्हें तो दस रुपये का स्टांप पेपर नहीं मिला। 50 रुपये के स्टांप से ही काम चलाना पड़ा। उनसे दस-दस रुपये की अतिरिक्त वसूली की गई है। कहा कि इस तरह से स्टांप पेपर बेचने वालों पर शिकंजा कसकर उनके लाइसेंस रद किए जाएंगे। जिला ज्ञान विज्ञान समिति के सदस्य दौलत भारती ने कहा कि स्टांप पेपर विक्रेताओं को उपभोक्ता नियम के दायरे में लाना चाहिए।

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