कालाबाजारी : परिजनों से मुंह मांगे दाम वसूल रहे दवा माफिया, अब प्रशासन ने उठाया ये कदम

कालाबाजारी : परिजनों से मुंह मांगे दाम वसूल रहे दवा माफिया, अब प्रशासन ने उठाया ये कदम

जालंधर (पंजाब)
एक तरफ कोरोना के कारण मौत का सिलसिला जारी है तो दूसरी तरफ मौके का फायदा उठाने वाले कालाबाजारियों ने इंसानियत को ताक पर रखकर लूट शुरू कर दी है। दवा माफिया हावी हो चुके हैं और प्रशासन व सरकार लाचार है। यही वजह है कि रेमडेसिविर इंजेक्शन के दाम एक लाख रुपये तक पहुंच गए हैं। इसके लिए मुंह मांगा दाम वसूला जा रहा है।

पहले रेमडेसिविर आसानी से थोक दुकानों पर बाजार दर पर मिलता था, सन फार्मा के इस इंजेक्शन की कीमत 2450 रुपये, सिप्ला कंपनी के इंजेक्शन की कीमत 3000 हजार रुपये और डॉ. रेड्डी का इंजेक्शन 2700 का मिलता था। जैसे ही चिकित्सकों ने इसकी मांग की तो दाम एकदम बढ़ गए। थोक में यह इंजेक्शन पांच हजार का मिलने लगा फिर अचानक 10 हजार रुपये और देखते ही देखते मरीज की जान बचाने को लोग मुंह मांगा दाम देने लगे।

इसकी कालाबाजारी के बाद अब जिला प्रशासन ने इस दवा को बांटने का जिम्मा अपने कंधों पर ले लिया है। इसकी सप्लाई सरकारी हाथों में आने से यह इंजेक्शन सबसे पहले कंपनी की तरफ से जिला प्रशासन द्वारा तय मेडिकल स्टोर पर जाता है। इसके बाद जिला प्रशासन के आदेश पर थोक विक्रेता इस इंजेक्शन को जिला प्रशासन के भेजे डाटा के अनुसार अस्पतालों में भेज देते हैं।

जालंधर के डीसी घनश्याम थोरी ने कहा कि कालाबाजारी करने वाले माफिया की सूचना देने वाले को 25 हजार रुपये की राशि इनाम में दी जाएगी। जालंधर के थोक केमिस्ट प्रधान रिशु वर्मा का कहना है कि अब इंजेक्शन का कंट्रोल सरकार के हाथ में है। इसी प्रकार टोसिलजुमैब 400 मिलीग्राम इंजेक्शन 35 हजार रुपये का है लेकिन दो लाख रुपये से अधिक का मार्केट में बिक रहा है। 

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