कानूनी अड़चन से मुक्त हुई एमबीबीएस और बीडीएस की दाखिला प्रक्रिया

फरीदकोट (पंजाब)
सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट – फोटो : सोशल मीडिया
करीब दो माह से कानूनी उलझनों के कारण पंजाब के मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में दाखिले की प्रक्रिया अधर में लटकी हुई थी। जिसे मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने क्लीयर कर दिया और पंजाब सरकार को दाखिले की प्रक्रिया सात सितंबर तक मुकम्मल करने की हिदायतें जारी कर दी।

पिछले माह 24 जुलाई को पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट की ओर से राज्य के निजी मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में एमबीबीएस व बीडीएस की मैनेजमेंट कोटे की सीटों में भी एक प्रतिशत माइक्रो रिजर्वेशन देने और सरकारी कॉलेजों में स्पोर्ट्स कोटा एक प्रतिशत से बढ़ाकर तीन प्रतिशत करने के आदेश के खिलाफ पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की हुई थी। जिसका निपटारा करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने माइक्रो रिजर्वेशन के मामले में तो हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है। जबकि स्पोर्ट्स कोटा पहले की तरह ही एक प्रतिशत ही रखने के आदेश दिए है। जानकारी के अनुसार पिछले सालों की तरह इस साल भी नीट का नतीजा आने के बाद बाबा फरीद मेडिकल यूनिवर्सिटी ने राज्य के तमाम मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में एमबीबीएस व बीडीएस कोर्स में दाखिले की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। पहले चरण की काउंसलिंग भी कर ली थी। लेकिन विभिन्न मामलों को लेकर हाईकोर्ट में दायर याचिकाओं के कारण दाखिले की प्रक्रिया अधर में लटक गई थी।

राज्य के तीन सरकारी और पांच निजी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की कुल 1225 सीटें है। जिनमें से अभी तक ऑल इंडिया कोटे और एनआरआई कोटे की सिर्फ 77 सीटें ही भर पाई थी। जबकि 15 डेंटल कालेजों में 1309 बीडीएस सीटों में से एक भी सीट नहीं भरी जा सकी।

इसी दौरान बीती 24 जुलाई को हाईकोर्ट ने सभी याचिकाओं का निपटारा करते हुए पंजाब सरकार को निजी मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में सरकारी कोटे की सीटों के साथ साथ मैनेजमेंट कोटे की सीटों में भी एक प्रतिशत माइक्रो रिजर्वेशन का लाभ देने और सरकारी कॉलेजों में स्पोर्ट्स कोटा एक प्रतिशत से बढ़ाकर तीन प्रतिशत करने के आदेश दिए थे। लेकिन हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ पंजाब सरकार ने 19 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी थी। जिस पर माननीय अदालत ने हाईकोर्ट के आदेश पर स्टे कर दिया था।

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