कहीं छात्राओं की अनदेखी न पड़ जाए भारी

रोहडू। पीजी कॉलेज सीमा में एसएफआई को छोड़कर किसी भी छात्र संगठन ने छात्राओं को अपने पैनल में जगह नहीं दी है। कॉलेज में छात्राओं की संख्या छात्र मतदाताओं से कहीं अधिक है। छात्र संघ चुनाव में छात्राएं ही प्रत्याशियों की जीत और हार का फैसला करेंगी। ऐसे में छात्राओं की अनदेखी कहीं छात्र संगठनों पर भारी न पढ़ जाए?
पीजी कालेज सीमा में कुल मतदाताओं की संख्या 1542 है। इनमें से छात्राओं की संख्या 880 है। जबकि, छात्र मतदाताओं की संख्या मात्र 662 है। ऐसे में प्रत्याशियों की हार-जीत का निर्णय छात्राओं के हाथ में ही रहेगा। एसएफआई ने छात्राओं को रिझाने के लिए अपने पैनल में अध्यक्ष और संयुक्त सचिव पद पर छात्रा प्रत्याशी को मैदान में उतारा है। जबकि, एनएसयूआई और एबीवीपी ने अपने-अपने पैनल में छात्राओं को जगह नहीं दी है। छात्राओं को पैनल में जगह न देना दोनों छात्र संगठनों के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है। चुनाव में जिस ओर छात्राओं का रुख होगा, वही छात्र संगठन कॉलेज की केंद्रीय छात्र संघ पर काबिज होगा। सभी छात्र संगठन छात्राओं को रिझाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन हार-जीत का पता 17 अगस्त को चुनावी नतीजे आने पर ही लगेगा। हालांकि, एनएसयूआई इस वर्ष लगातार तीसरी जीत हासिल कर कॉलेज में जीत की हैट्रिक लगाना चाहती है। एबीवीपी भी कॉलेज में अपनी खोई हुई साख फिर वापस पाने की कोशिश कर रही है। एसएफआई छात्रा प्रत्याशियों पर दांव खेलकर कॉलेज में अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए मेहनत कर रही है।

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